PUNE. रेलवे के कई सेवाओं को सुगम व सुविधाजनक बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का उपयोग शुरू किया गया है. रेलवे ने यात्री सुविधाओं से सीधे जुड़े खान-पान और सफाई के मामलों को लेकर इसका पहले इस्तेमाल शुरू किया है. इसमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि मानवीय भूलों को कम से कम किया जा सके. इससे शिकायतें भी कम आयेंगी.
रेलवे सूत्रों की माने तो इससे संरक्षा और सुरक्षा प्रणाली मजबूत होने के साथ साफ-सफाई और खान-पान की व्यवस्था बेहतर होगी. मैकेनाइज्ड लांड्री में बेडरोल की दागदार चादरें अपने आप अलग हो जायेंगी.
ट्रेनों के पेंट्रीकार या बेस किचन में कहीं भी गंदगी दिखी , चूहे या बिना वर्दी के रसोइये दिखे तो अधिकारियों के मोबाइल की घंटी बजने लगेगी. उन्हें इसकी सूचना तत्काल पहुंच जायेगी. यही नहीं सुरक्षित ट्रेन संचालन में भी रेलवे पहले से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का उपयोग शुरू कर दिया है.
अब मध्य रेलवे के पुणे मंडल की मैकेनाइज्ड लांड्री में पायलट प्रोजेक्ट के तहत एआइ की शुरुआत की गयी है. आइआरसीटीसी ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर स्थित बेस किचन और ट्रेनों की पेंट्रीकार में एआइ प्रणाली प्रायोगिक तौर पर लागू कर चुका है. प्रयोग सफल रहा तो पूर्वोत्तर रेलवे सहित सभी जोन के लांड्री, बेस किचन, पेंट्रीकार, स्टेशन स्थित वीडियो सर्विलांस सिस्टम, ट्रेन शिड्यूल, प्लान और ट्रेवल इंफार्मेंशन आदि सिस्टम में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने की तैयारी है.
ऐसे काम करेगी एआइ की तकनीकी
मशीनीकृत लॉन्ड्री में चादरों को कन्वेयर सिस्टम पर डाला जाता है. फिर उन्हें डिटेक्शन क्षेत्र से गुजारा जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे विस्तृत तस्वीर लेते हैं और सॉफ्टवेयर 100 प्रतिशत सटीकता के साथ दाग और क्षति की पहचान करता है. इसमें एल्गोरिदम और डाटा संग्रह की मदद ली जाती है. यह सिस्टम हर चादर पर दाग और क्षति का प्रतिशत रिकॉर्ड करता है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यात्रियों को साफ चादर मिलें.
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