NAGPUR : नागपुर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (District Consumer Disputes Redressal Commission) ने महिला की शिकायत पर रेलवे को सेवा का दोषी करार देते हुए 35,000 रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया है. Complaint Case No. CC/275/2020 पर सुनवाई करते हुए आयोग ने 21 अक्टूबर को यह निर्णय सुनाया था. इसमें महिला यात्री को हुई परेशानी के लिए 25,000 रुपये और केस में आये खर्च के लिए 10,000 रुपये का जुर्माना शामिल है. रेलवे की ओर से अब तक आदेश पर अगली कार्रवाई नहीं की गयी है.
नागपुर की गोकुलपेट Gokulpeth निवासी आर श्रीदेवी ने नागपुर से मुंबई जाने के लिए दूरंतो एक्सप्रेस में 14 फरवरी 2020 के लिए ऑनलाइन टिकट कराया था. उन्होंने 16 फरवरी 2020 के लिए वापसी भी ले रखा था. यात्रा वाले दिन जब वह ट्रेन में सवार हुईं तो टीटीई ने उनके टिकट को फर्जी बताते हुए उनसे बर्थ खाली करा लिया और 1115 रुपये जुर्माना भी वसूला. मजबूरी में उन्हें फर्श पर सोकर यात्रा करनी पड़ी. बाद में वह उसी दिन के यात्रा टिकट से वापस लौट आयी. श्रीदेवी ने इस मामले को नागपुर जिला उपभोक्ता फोरम में रखा.
महिला की शिकायत पर उपभोक्ता फोरम में मध्य रेलवे (Central Railway) की ओर से बताया गया कि महिला जिस टिकट पर यात्रा कर रही थी, वह एक ट्रेवल एजेंट द्वारा बुक किये गये 14 अनिधिकृत टिकटों में शामिल था. उसे रद्द कर दिया गया था. इसलिए महिला को बर्थ नहीं दिया गया. आयोग के आयोग के अध्यक्ष अतुल डी अलसी (Atul D Alsi), सदस्य चंद्रिका के बैस (Chandrika K Bais) और सुभाष आर अजाने (Subhash R Ajane) ने इसे रेलवे की सेवा में खामी बताया. आयोग ने तर्क दिया कि रेलवे यात्रा शुरू होने से पहले टिकट रद्द करने का संदेश यात्री तक पहुंचाने में विफल रहा. यदि यात्री तक संदेश पहुंचता तो वह वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती थी.
आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता न तो आरोपी है और न ही उस पर नकली टिकट के संबंध में अपराध में शामिल होने का आरोप है. बिना पूर्व सूचना दिए टिकट रद्द करना या रेलवे द्वारा निर्धारित यात्रा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में विफल रहने को सेवा में कमी माना जाता है. शिकायतकर्ता को हुई असुविधा और मानसिक प्रताड़ना के लिए, विरोधी पक्ष मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है. इसके बाद कंज्यूमर फोरम (DCDRC) ने मध्य रेलवे को पीड़ित यात्री को 35,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.
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