- भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसी पहली घटना से रेल प्रबंधन के हाथ-पांव फूले
- दक्षिण पूर्व रेलवे का एकाउंटिंग सिस्टम अपनाने की डायरेक्टर फाइनेंस ने दी सलाह
- एनएफ रेलवे के लांम्डिंग डिविजन में दिसंबर 2018 में करोड़ों की रकम का होगा गोलमाल
नई दिल्ली. नार्थ इस्ट रेलवे एकाउंट विभाग के एक सामान्य कर्मचारी ने रेलवे के कई पासवर्ड को क्रेक कर बिल पेंमेंट मद में रेलवे एकाउंट से (3.93) यानि लगभग चार करोड़ रुपये अपने बचत खाते में ट्रांसफर करा लिया है. यह घटना रेलवे के इतिहास में पहली घटना मानी जा रही है, जब पासवर्ड की जानकारी लेकर किसी कर्मचारी ने इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी की हो. इस घटना से एनएफ रेलवे के लांबडिंग डिविजन की है जिसमें दिसंबर 2018 तक राशि की लगातार निकासी की गयी है. इस घटना का खुलासा होने से पूरे रेलवे बोर्ड फाइनेंस विभाग में हड़कंप मच गया है.
घटना के बाद रेलवे बोर्ड के फाइनेंस डायरेक्ट जी गाबुई ने सभी जोन के फाइनेंस पदाधिकारी व सलाहकारों को आनन-फानन में कई बिंदुओं पर गाइड लाइन जारी कर सिस्टम को चेक करने और संभावित चूक को सुधारने का दिशा-निर्देश दिया है. फाइनेंस डायरेक्टर ने इस मामले में सबसे ठोस माने जाने वाले दक्षिण पूर्व रेलवे के अकाउंटिंग सिस्टम को अपनाने की सलाह सभी मुख्य वित्त सलाहकारों को दी है. फाइनेंस कामिश्नर विजय कुमार पहले दक्षिण पूर्व रेलवे में रह चुके है जिनकी अनुशंसा पर यह सिस्टम अपनाने की सलाह सभी जोन को दी गयी है.
घटना पर टिप्पणी करते हुए बोर्ड के फाइनेंस डायरेक्टर ने बताया है कि रेलकर्मी ने कई स्तर पर रेलवे के सिस्टम को क्रेक कर यह कारनामा किया और लगातार ठेकेदार व एजेंसी के बिल की अंतिम स्वीकृत मिलने (सीओ-7) के बाद बिल मद की राशि को पे आर्डर जेनरेट करने के समय ठेका एजेंसी की नाम की जगह अपना अथवा दूसरे उस व्यक्ति का नाम और एकाउंट नंबर दर्ज कर देता था, जिसे वह फायदा पहुंचाना चाहता था. इस तरह ठेकेदार के बिल मद की राशि उसके अकाउंट में आ जाती थी. कई रिकॉर्ड और दस्तावेज में वह अकाउंट अफसर का हस्ताक्षर स्वयं कर देता था और किसी भी बिल में रेफरेंस नंबर नहीं डालता था इससे पदाधिकारियों को यह पता नहीं चल पाता कि संबंधित बिल किस एजेंसी का है.
माना जा रहा है कि इस तरह कई एजेंसियों को भी फर्जी बिलिंग कर अघोषित रूप से फायदा पहुंचाया गया है इसकी जांच अब की जा रही है. दिलचस्प बात यह सामने आयी है कि तीन से चार चरण में बिल की जांच और निगरानी की पूरी व्यवस्था को उक्त कर्मचारी ने हैक कर लिया था. गजटेड अफसर की स्वीकृति भी वह स्वयं उनके पासवर्ड को खोलकर कर देता था. अब इसकी जांच चल रही है कि ऐसा उक्त कर्मचारी ने अकेले किया अथवा उसके कृत् में कई बड़े अफसर भी शामिल थे. इधर करोड़ों रुपये किसी रेलकर्मी के सेविंग अकाउंट में आने की सूचना के बाद सक्रिय हुए बैंक अधिकारियों ने रेलवे को सूचित किया तब इस मामले का खुलासा हुआ.