नई दिल्ली. रेलवे की प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने को लेकर केंद्रीय रेल और कामर्स एंड इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने छह अक्टूबर को कोयला और बिजली क्षेत्रों के शीर्ष प्रबंधकों से बात की. राजस्व उगाही की संभावनाओं को तलाश रहे पीयूष गोयल ने रेलवे, कोयला और बिजली संस्थाओं के बीच संचालन में समन्वय बनाने का आह्वान किया, ताकि तीनों क्षेत्रों की अधिकतम पारस्परिक वृद्धि सुनिश्चित हो सके.
रेलमंत्री का मानना था कि कोयला लोडिंग में वृद्धि का रेलवे की माल ढुलाई से राजस्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. कोरोना के दौरान 2020-21 के राजस्व में बड़े पैमाने पर यात्री किराया से हुई कम कमाई को पाटने के लिए हाथ पैर मार रहा है. यही कारण है कि रेल मंत्रालय का पूरा जोर माल ढुलाई से राजस्व बढ़ाने पर है.
रेलमंत्री इसे लेकर कोयला कारोबार को मजबूत करने और कोयला ढुलाई से रेलवे, कोयला और बिजली क्षेत्र की संयुक्त परिचालन उत्पादकता को बढ़ाने के रूप में अवसर देख रहे है. बैठक में कोयला लोडिंग को बढ़ाने के साथ सस्ती व सुलभ बिजली की उपलब्धता पर भी विचार किया गया.
रेलवे के माल ढुलाई के लगभग 50% हिस्से में कोयले की ढुलाई होती है. वित्त वर्ष 2019-20 में, कोयले की लोडिंग 587 मिलियन टन थी. वर्ष में कुल भाड़ा 1,210 मिलियन टन था.
सितंबर 2020 में भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई से 9,896.86 करोड़ रुपये की कमाई की है जबकि उसी अवधि में पिछले वर्ष यह कमाई 1,180.57 करोड़ रुपये थी. यानि इस साल 8,716.29 करोड़ रुपये की अधिक कमाई हुई है. माल ढुलाई का यह प्रतिशत 13.54 है. यह सितंबर 2020 की माल ढुलाई की तुलना में 15.3% अधिक है.
रेलवे ने फ्रेट रेवेन्यू बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे ग्राहकों को प्रोत्साहन देना शुरू किया है ताकि सड़क मार्ग की ढुलाई को रेलवे की आकर्षित किया जा सके. इस क्रम में वापस होने वाले रैक रेक के उपयोग के लिए कम ढुलाई शुल्क का फंडा शुरू किया गया है. रेलवे तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स शिपिंग बिजनेस में भी दाव आजमा रहा है.