रेलहंट ब्यूरो, कोलकाता
नागरिकता बिल के विरोध में 13 और 14 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में किये गये प्रदर्शन और तोड़फोड़ से रेलवे को कुल 15.77 करोड़ रुपये (157733779 रुपये) का नुकसान हुआ है. यह नुकसान खड़गपुर रेलमंडल के छह स्टेशनों और रेलवे लेवल क्रासिंग पर की गयी तोड़फोड़ से हुआ है. रेलवे ने उपद्रव के बाद नुकसान को लेकर एक आकलन जारी किया है. जो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है. हालांकि इस सूची में किसी अधिकारी विशेष के हस्ताक्षर अथवा सील-मुहर नहीं लगी है न ही किसी अधिकारी ने इसे लेकर बयान जारी किया है.
वायरल नुकसान में खड़गपुर रेलमंडल द्वारा किये गये आकलन के अनुसार शंकरैल में 6716500, उलबेरिया में 4497705, चंगेल में 3881000, नलपुर में 2660000, फुलेश्वर में 1125000, बौरिया में 2402000 का नुकसान हुआ है. सर्वाधिक नुकसान नलपुर में 2660000 रुपये का हुआ है. इसके अलावा दो इंजन में की गयी तोड़फोड़ में 25 लाख का नुकसान रेलवे को हुआ है. जबकि चार ट्रेनों में कोचों को तोड़ने से होने वाला नुकसान 59 लाख रुपये है. ट्रेनों के रद्द किये जाने से अकेले खड़गपुर मंडल को रिफंड के रूप में 24 रुपये भरने पड़े हैं. जबकि कोचिंग 46 और गुड्स ट्रेनों को रद्द करने से 42 लाख से अधिक का नुकसान रेल मंडल को हुआ है.
इस तरह दो दिन के प्रदर्शन में अकेले खड़गपुर रेलमंडल को 15 करोड़ से अधिक का अनुसार हो चुका है. इसमें देश के अन्य हिस्सों से रद्द कराये गये टिकटों के एवज में हुआ नुकसान शामिल नहीं है. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी प्रदर्शन को देश हित में सही नहीं करार दिया जा सकता न ही ऐसे लोगों को देशभक्त. जाहिर से बात है देशविरोधी ताकतों के इस प्रदर्शन से रेलवे को हुए नुकसान के लिए केंद्र व राज्य सरकार बराबर की जिम्मेदार है. जो समय रहते इन तत्वों पर काबू पाने में विफल रही. रेलवे की खुफिया एजेंसियों भी यह आकलन कर पाने में विफल रही और बड़ी संख्या में लोग रेलवे लाइन पर आकर उपद्रव करते रहे.