- 25,000 करोड़ का यह प्रोजेक्ट पांच साल पूरा करने का है लक्ष्य
लोको पायलटों और गार्डों के बीच निर्बाध संचार सुनिश्चित होगा
ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली को भी दी गयी मंजूरी, यात्रियों होंगे सुरक्षित
नई दिल्ली. ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने स्टेशनों और ट्रेनों में सार्वजनिक सुरक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए रेलवे को 700 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही रेलवे के एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान करने की योजना को पूरा करने का रास्ता साफ हो गया है. इस योजना पर 25,000 करोड़ खर्च आयेंगे और इसे पांच साल में पूरा किया जायेगा.
इसके साथ रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से विकसित ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम को मंजूरी दी है जो रेलगाड़ी को टक्कर से बचने में मदद करेगा और इससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
इससे रेलवे के परिचालन एवं रख-रखाव व्यवस्था में रणनीतिक बदलाव आएगा. यह मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक ट्रेनों को समायोजित करने के लिए लाइन क्षमता और सुरक्षा को बेहतर करने में मदद करेगा. आधुनिक रेल नेटवर्क तैयार होने से परिवहन लागत में कमी आएगी और प्रवाह क्षमता में सुधार होगा. साथ ही यह बहुराष्ट्रीय उद्योगों को अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए भी आकर्षित करेगा जिससे ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को पूरा करने और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी.
भारतीय रेल के लिए एलटीई का उद्देश्य परिचालन, बचाव एवं सुरक्षा से जुड़े ऐप्लिकेशन के लिए सुरक्षित एवं भरोसेमंद वॉइस, वीडियो और डेटा संचार सेवाएं प्रदान करना है. इसका उपयोग आधुनिक सिग्नलिंग और ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों के लिए किया जाएगा तथा लोको पायलटों व गार्डों के बीच निर्बाध संचार सुनिश्चित करने के लिए इसका उपयोग होगा. यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित रिमोट ऐसेट मॉनिटरिंग विशेष रूप से कोच, वैगन व लोको की निगरानी और ट्रेन के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरों की लाइव वीडियो फीड, ट्रेन के सुरक्षित एवं तेज संचालन को सुनिश्चित करने में सक्षम करेगा.
ट्राई की सिफारिश के अनुसार निजी उपयोग पर रॉयल्टी शुल्क एवं लाइसेंस शुल्क के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित फॉर्मूले के आधार पर स्पेक्ट्रम शुल्क भी सरकार वसूल सकती है.