- डीआरएम के सामने बयान देने का लगातार करता रहा अनुरोध, रेलवे अधिकारी मामला दबाने में जुटे रहे
- आरपीएफ और आईओडब्ल्यू की भूमिका संदिग्ध, परिजनों ने लगाये गंभीर आरोप, बिना वर्दी में गये थे अधिकारी
JAMSHEDPUR. टाटानगर में रेलवे की लीज जमीन पर अवैध दखल के विरोध में आत्मदाह का प्रयास करने वाले रेलकर्मी सुनील पिल्लई की रविवार की सुबह मौत हो गयी. उनकी इलाज टाटा मुख्य अस्पताल में चल रहा था. टाटानगर इलेक्ट्रिक लोको शेड में सीनियर टेक्नीशियन सुनील पिल्लई का कहना था कि प्लॉट नंबर 53 की जमीन 99 साल के लिए उनके पिता को लीज पर मिली थी. रेलवे ट्रैफिक कॉलोनी के क्वार्टर नंबर टी-45/7 के बगल में स्थित है. इस पर रेलवे इंजीनियरिंग विभाग और आरपीएफ के अधिकारी पैसा लेकर अवैध रूप से कारोबारी ओमप्रकाश कसेरा (प्रकाश स्टोर) को कब्जा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं.
28 जून को लीज जमीन पर दखल और अवैध निर्माण का विरोध कर रहे सुनील पिल्लई की पत्नी और बेटी को आरपीएफ के अधिकारी हिरासत में लेकर पोस्ट ले गये थे. इससे आहत होकर सुनील पिल्लई ने स्वयं केरोसिन डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया. बुरी तरह झुलस गये सुनील पिल्लई को स्थानीय टाटा मुख्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां रविवार की सुबह उनकी मौत हो गयी. घटना के लिए सुनील पिल्लई की पत्नी और बेटी ने पूरी तरह से आरपीएफ और आईओडब्ल्यू के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. बेटी का आरोप है कि उन्हें जबरन लिखवाकर छोड़ा गया है.
मीडिया को दिेये अपने स्टेटमेंट में बेटी मनीषा कुमारी पिल्लई ने बताया कि बिना वर्दी में आये अधिकारी उन्हें जबरन पकड़कर पोस्ट ले गये. इस बीच पिता ने दुखदायी कदम उठा लिया. वे लोग बताते रहे कि मामला कोर्ट में है फैसला आने दे लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गयी. बताया जाता ह्रै कि घटना के समय आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर जीतेश राय, एएसआई संदीप पांडे, आरपीएफ ओसी संजय तिवारी के स्पेशल अमरेंद्र यादव, पटेल आदि काफी सक्रिय थे और पूरी कार्रवाई बिना स्थानीय बागबेड़ा थाना के पदाधिकारी की गैरमौजूदगी में की गयी. बाद में पुलिस आयी. हालांकि बागबेड़ा पुलिस भी इस मामले में जांच के नाम पर मौन साधे हुए हैं.
टाटानगर : लीज की जमीन पर कब्जा दिलाने के विरोध में रेलकर्मी ने किया आत्मदाह का प्रयास
सुनील पिल्ले के अलावा उनकी बेटी और पत्नी ने आरोप लगाया कि कारोबारी ओमप्रकाश ने बड़ी रकम देकर आरपीएफ और आईओडब्ल्यूई के अधिकारियों को प्रभावित कर लिया था ताकि उनकी जमीन का दखल दिलाया जा सके. दोनों का कहना था कि जब जमीन ओमप्रकाश के नाम से है ही नहीं तो उसके कहने पर रेलवे अधिकारी क्यों सक्रिय हुए ? बेटी का आरोप है कि जमीन पर दखल के लिए उन्हें भी बड़ी रकम देने की पेशकश कारोबारी की ओर से की गयी थी.
रेलवे के जानकारों के अनुसार लीज की जमीन के नाम बदलने और पावर ऑफ अटर्नी जैसे नियमों का कोई औचित्य नियम में नहीं है ? अगर लीजधारी के बीच कोई विवाद है तो जमीन की लीज वापस करने अथवा रद्द करने का प्रावधान है ? लेकिन टाटानगर में बड़ी संख्या में लोगों लीज की जमीन को पावर ऑफ अटर्नी बनाकर दूसरों को बड़ी रकम लेकर बेंच दी अथवा उपयोग के लिए दे दी है. ऐसे मामले कुल लीज के 80 फीसदी से अधिक है जो रेलवे लैंड अधिकारियों की जानकारी में है लेकिन इस पर कभी नियमानुसार कार्रवाई नहीं की गयी. यही नहीं लीज के शर्तो का उल्लंघन कराकर निर्माण में भी अनियमितता बरती जा रही है. सुनील पिल्लई की मौत ने लीज के नियमों के दुरुपयोग से लेकर यहां चल रहे बड़े कार्यों पर सवालिया निशान लगा दिया है. इस पूरे मामले में आरपीएफ और आईओडब्ल्यू के अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में आ गयी है.
सुनील पिल्लई मरने से पहले डीआरएम को देना चाहता था बयान
रेलकर्मी सुनील पिल्लई आत्मदाह के प्रयास के बाद डीआरएम को सीधे बयान देकर सच बताना चाहता था लेकिन यह बात उन तक पहुंचाने से रोकी गयी. आरपीएफ से लेकर इंजीनियरिंग के अधिकारी इस मामले को दबाने में जुटे रहे थे. अभियान के दौरान भी इंजीनियर और आरपीएफ के अधिकारियों ने पिल्लई को बताया कि यहां कोई कानून नहीं चलता है डीआरएम जो कहेंगे वहीं होगा. यह सब उनकी जानकारी में हो रहा है और उनका आदेश आने पर भी कार्रवाई रुकेगी. आत्मदाह के प्रयास के बाद सुनील पिल्लई ने बार-बार डीआरएम के सामने बयान देने की बात कहीं, लेकिन रेलवे अधिकारी पूरे मामले को दबाने में लगे रहे. आखिरकार डीआरएम के सामने सच बोलने की आस लिये वह चल बसा.