रेलवे के निजीकरण पर एक बार फिर सरकार चर्चा में हैं. इस बार रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जानकारी दी है. यह चर्चा इसलिए भी अहम है कि अब तक सरकार कई कंपनियों को निजी हाथों में सौंप चुकी है. कई का संचालन निजी कंपनियां कर रही है. ऐसे में रेलवे के निजीकरण को लेकर रेलमंत्री का बयान काफी अहम हो जाता है.
सदन में लिखित सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘सरकार ने पहले भी कहा है और एक बार फिर हम सभी को कहना चाहते है भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होगा. रेल मंत्री की इस घोषणा के बाद रेलवे यूनियनों की प्रतिक्रिया सामने आयी है. नेताओं का कहना है कि रेलमंत्री लगातार यह बयान देते रहे हैं कि रेलवे के निजीकरण का इरादा नहीं है लेकिन एक के बाद एक सेवाओं को लगातार निजी हाथों में दिया जा रहा है.
रेल मंत्री ने बताया कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे की तरफ से गति शक्ति कार्गो टर्मिनल (GCT) नीति के तहत अगले तीन वर्षों में जीसीटी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 22 जीसीटी पर पहले से ही काम चल रहा है. जीसीटी आपरेटरों का चयन निविदा प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा.
हालांकि रेल मंत्री ने सदन में भावी प्लान की भी जानकारी दी. बताया कि आने वाले समय में रेलवे सुविधाओं में बढ़ोतरी करेगी. कई ट्रेनों में बदलाव किया जाएगा. तकनीक पर जोर है इसलिए आने वाले समय में रेलवे में सिस्टम एडवांस हो जाएगा. इसके लिए कई परियोजनाएं चल रही है. रेल मंत्री ने बताया कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे की तरफ से गति शक्ति कार्गो टर्मिनल (GCT) नीति के तहत अगले तीन वर्षों में जीसीटी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 22 जीसीटी पर पहले से ही काम चल रहा है. यानी आने वाले समय में रेलवे बहुत ज्यादा सुविधाजनक होगा.
रेल मंत्री ने रेलवे की तैयारियों पर विस्तृत जानकारी दी है. रेल मंत्री के अनुसार, टर्मिनल के निर्माण और संचालन के लिए जीसीटी आपरेटरों का चयन निविदा प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा. इतना ही नहीं, रेलवे टर्मिनल को गैर-रेलवे भूमि पर विकसित करने के लिए जीसीटी आपरेटरों को सही जगह चुनने की जिम्मेदारी दी गई है.