- टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला से लेकर ब्रांच स्टेशनों तक दलालों की पहुंच, आरपीएफ-विजिलेंस की मौन सहमति
- तत्काल आरक्षण नहीं दिला पाने की स्थिति में आपातकालीन कोटे की सीट तक उपलब्ध कराने का करते हैं दावा
- टाटानगर में दर्ज करायी गयी शिकायत को कराया रद्द, राउरकेला में दलाल से वसूली में IPF के खिलाफ चल रही जांच
ROURKELA/TATA. चक्रधरपुर रेलमंडल में रेलवे का तत्काल आरक्षण आम यात्रियों की पहुंच से दूर हो चुका है. टाटानगर से लेकर राउरकेला जैसे बड़े स्टेशनों से लेकर बड़ाजामदा-डांगुवापोसी जैसे ब्रांच स्टेशन के रेलवे के आरक्षण काउंटर तक पूरी तरह दलालों के कब्जे में हैं. यहां आम यात्री परेशान हैं तो कॉमर्शियल क्लर्क, आरपीएफ और विजिलेंस की जानकारी में चल रहा यह धंधा डिवीजन में अब सुनिश्चित बड़े कारोबार का रूप ले चुका है.
टिकट दलालों की रेलवे सिस्टम तक पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तत्काल आरक्षण नहीं मिल पाने की स्थिति में ये लोग आपातकालीन कोटे की सीट तक उपलब्ध कराने का दावा करते हैं. इसका खुलासा 29 दिसंबर 2024 को टाटानगर आरक्षण केंद्र पर तब दिखा जब एक यात्री ने हंगामा मचाया और आरोप लगाया कि रेलवे आरक्षण क्लर्क ने जान-बूझकर दलाल को तत्काल आरक्षण देने के लिए उसे गुमराह किया और उसके द्वारा किये गये विलंब के कारण उसे तत्काल आरक्षण नहीं मिल सका. यह घटना काउंटर नंबर तीन पर सुबह के समय घटी थी.
जुगसलाई के जमुनाश्री अपार्टमेंट के निवासी मुरलीधरन नायर और सीमा नायर ने बकायदा इसकी लिखित शिकायत स्टेशन पर दर्ज करायी. दिलचस्प बात यह रही कि यात्री के हंगामे और शिकायत के बाद आनन-फानन में रेलवे के लोग सामने आये और उन्हें भरोसा दिलाया कि तत्काल नहीं हुआ तो क्या हुआ आपको विशेष कोटे से आरक्षण उपलब्ध कराया जायेगा. जानकारों के अनुसार रेलवे के लोगों ने मुरलीधरन पर दबाव बनाकर शिकायत रद्द करा ली और उन्हें आपातकालीन कोटे से अहमदाबाद एक्सप्रेस में आरक्षण भी उपलब्ध कराया. इस तरह टाटानगर आरक्षण केंद्र में चल रहे रेलवे तत्काल के गोलमाल में नीचे ऊपरी स्तर पर मिलीभगत का पता चल जाता है. हालांकि इस घटना को कॉमर्शियल और आरपीएफ के लोगों ने दबा दिया और मामला Sr DCM अथवा DRM तक पहुंचा ही नहीं.
चक्रधरपुर डिवीजन के दूसरे बड़े स्टेशन राउरकेला में शुरू से दलालों के साथ आरपीएफ की मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं. आलम है कि यहां सुबह 10 बजे और 11 बजे तीनों काउंटर पर पहले से लाइन में जमे दलालों के कारण आम लोगों को तत्काल आरक्षण नहीं मिल पाता. आरोप है कि दलालों की सेटिंग ऐसी है कि वे 5-5 तत्काल टिकट बनवाते हैं और नोटों का बंडल काउंटर में फेंक कर चले जाते है. इस पूरे खेल में आरपीएफ की भूमिका भी संदिग्ध है. दिलचस्प बात यह है कि एक टिकट दलाल से अवैध वसूली के आरोपों का सामना आरपीएफ के अधिकारी भी कर रहे हैं. उसकी जांच चल रही है.
सीनियर डीसीएम का निरीक्षण आईवाश तो नहीं !
राउरकेला स्टेशन टिकट दलालों की धमाचौकड़ी की खबरें सामने आने के बाद बुधवार की सुबह करीब आठ बजे सीनियर डीसीएम आदित्य कुमार चौधरी ने अचानक आरक्षण केंद्र का निरीक्षण किया. जांच के दौरान उन्होंने चार महिलाओं के फॉर्म पर संदेह जताया और उन्हें आरपीएफ के हवाले कर दिया. अब सवाल उठता है कि मंडल मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर आकर 10 मिनट में Sr DCM चार संदिग्धों को पकड़ लेते है तो यहां तैनात कॉमर्शियल और आरपीएफ के लोग क्या कर रहे है ? कुछ लोग Sr DCM की कार्रवाई को उपलब्धि बता रहे तो कुछ इसे आईवाश. यात्रियों का कहना है कि दलाल हमेशा तत्काल के समय में आते हैं. ऐसे में सुबह आठ बजे की जांच का कोई मतलब नहीं है.
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण जनकल्याण संगठन ने टिकट कालाबाजारी की सीबीआई जांच की मांग की
चक्रधरपुर रेल मंडल में रेलवे टिकट की कालाबाजारी को लेकर बड़ा खुलासा राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण जनकल्याण संगठन के राज्य निदेशक युवा सेल बसंत महतो ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किया. बसंत महतो ने स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो फुटेज भी जारी किया और बताया कि यह कारोबार रेल अधिकारी, आरपीएफ और रेलवे विजिलेंस के संरक्षण में चल रहा है. कहा कि पिछले 30 दिनों का सीसीटीवी फुटेज देख लिया जाये तो सच सामने आ जायेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे टिकट की कालाबाजारी पर रोक सीबीआई जांच से ही संभव है क्योंकि स्थानीय अधिकारी, आरपीएफ के लोग या तो खेल में शामिल हैं या आरोपियों को बचाने में लगे रहते हैं.