नई दिल्ली. तस्करी से मुक्ति कराये गये अथवा अनाथ बच्चों को बचाने के लिए रेल अफसरों की पत्नियों ने पहल की हैं. देश भर में यह महिलाएं बच्चों को उनके परिजनों से मिलाने और उनकी देखभाल करने का काम करेंगी. रेलवे बोर्ड ने 24 अगस्त को प्रथम चरण में दिल्ली, गुवाहाटी, दानापुर, समस्तीपुर व अहमदाबाद स्टेशन परिसरों में अल्पवास के लिए शेल्टर होम बनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं. इसमें दो हजार वर्गमीटर रेलवे भूमि पर संबंधित डिवीजन शेल्टर होम का निर्माण करेंगे. रेलवे वूमेन वेलफेयर सेंट्रल ऑरगेनाइजेशन ने रेल मंत्रालय से शेल्टर होम बनवाने व उसको चलाने की मांग की थी. इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
पत्नियां चलाती हैं संगठन
इस संगठन में बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी सहित दूसरे सदस्यों व वरिष्ठ अधिकारियों की पत्नियां सदस्य होती हैं. संगठन को सभी महिलाएं मिलकर चलाती हैं. रेलवे के 17 जोन व 68 डिवीजन स्तर पर भी अफसरों की पत्नियां संगठन चलाती हैं. यह पहली बार है जब संगठन की महिलाओं ने घर से भागे तस्करी होने वाले बच्चों को शेल्टर होम में अल्पवास के लिए रखने का बीड़ा उठाया है.
चाइल्ड हेल्प डेस्क बनेंगे
घर से भागे बच्चों के अभिभावक पुलिस के अलावा अपने शहर के रेलवे स्टेशन पर बने शेल्टर होम में अपने बच्चों का पता कर कर सकेंगे. 24 घंटे काम करने वाली चाइल्ड हेल्प डेस्क में अवसादग्रस्त बच्चों की काउर्संलग की सुविधा होगी. अधिकारी ने बताया कि बच्चों की तस्करी रोकने के अभियान के तहत 2014 से अप्रैल 2018 तक के चार साल में 35,897 बच्चों को बचाया गया है. इसमें 1541 बच्चों (लड़के-लड़कियां) को तस्करी होने से बचाया गया. इसके अलावा ट्रेनों में भी आरपीएफ-जीआरपी अभियान चला रही है.
महिलाओं की मदद करेगा
रेलवे स्टेशन परिसरों में बनाए जा रहे शेल्टर होम के परिचालन में रेल मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मदद लेगा. इसमें मंत्रालय बच्चों के लिए समर्पित एनजीओ को शेल्टर होम चलाने में रेलवे संगठन की सदस्य महिलाओं की मदद करेगा. इसके अलावा स्टेशन मास्टरों को बच्चों की मदद के लिए लगाया जा रहा है. इसके लिए उन्हें पृथक बजट दिया जाएगा.