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मदुरै : रेलवे ने कहा – यात्री कोच में ‘अवैध रूप’ से लाए गए गैस सिलेंडर से लगी आग, जिम्मेदार कौन !

मदुरै : रेलवे ने कहा - यात्री कोच में ‘अवैध रूप’ से लाए गए गैस सिलेंडर से लगी आग, जिम्मेदार कौन !
  • आंखो देखी : कोच में धुंआ भरने लगा, हर तरफ भागे लोग, सभी गेट थे लॉक, और फिर गेट तोड़कर कुछ की जान बची 

NEW DELHI. तमिलनाडु के मदुरै रेलवे स्टेशन पर रेलवे कोच में शनिवार 26 अगस्त की सुबह आग लगने से रामेश्वरम जाने की तैयारी कर रहे 10 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हुए. घटना पर दक्षिण रेलवे SouthernRailway ने कहा कि यात्री कोच में ‘अवैध रूप’ से लाए गए गैस सिलेंडर की वजह से आग लगी है. इस मामले में मरने वालों को 10 लाख रुपये तक मुआवजा देने की बात पीटीआई की रिपोर्ट में बतायी गयी है.

मदुरै : रेलवे ने कहा - यात्री कोच में ‘अवैध रूप’ से लाए गए गैस सिलेंडर से लगी आग, जिम्मेदार कौन !

दक्षिण रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, बी गुगनेसन ने मीडिया से कहा कि जिस डिब्बे में आग लगी, वह एक ‘प्राइवेट पार्टी कोच’ (बुक किया गया पूरा डिब्बा) था. इसमें कुल 63 यात्री 17 अगस्त को लखनऊ से तीर्थयात्रा पर निकले थे. सभी यात्री उत्तर प्रदेश के लखनऊ व आसपास के रहने वाले थे. इस कोच में ट्रैवल एजेंट भसीन ट्रैवल्स, सीतापुर ने बुक कराया था. डीएम/मदुरै एमएस संगीता ने बताया कि 55 लोगों को इसमें बचाया गया है.

दक्षिण रेलवे की ओर से बताया गया है कि आग शनिवार तड़के 5:15 मिनट पर लगी और दमकलकर्मियों ने सुबह 7:15 बजे उसपर काबू पा लिया था. यह कोच शुक्रवार को नागरकोइल जंक्शन से 16730 पुनालुर-मदुरै एक्सप्रेस से जुड़कर सुबह 3.47 बजे मदुरै आया थ्चा. उसे अलग कर मदुरै स्टेबलिंग लाइन पर रखा गया था, जहां यह घटना घटी.

सीपीआरओ के अनुसार निजी पार्टी ने अवैध रूप से गैस सिलेंडर, स्टोव और अन्य ज्वलनशील सामान कोच में रखा. ट्रेन के रुकने पर चाय/नाश्ता बनाने के लिए अवैध रूप से लाए गए रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल किया जा रहा था तभी यह घटना घटी. घटनास्थल से एलपीजी सिलेंडर, आलू की बोरी, बर्तन और लकड़ियां मिली हैं,  इससे डिब्बे में खाना पकाए जाने के पर्याप्त संकेत मिले हैं.

रेलवे में ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित, हो सकती है कार्रवाई 

रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 67, 164 और 165 के तहत गैस सिलेंडर, पटाखे, एसिड, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, थर्मिक वेल्डिंग, स्टोव और विस्फोटक जैसे ज्वलनशील पदार्थ रेलवे में ले जाना दंडनीय अपराध है. रेलवे अधिनियम की धारा 67 खतरनाक या आपत्तिजनक सामान की ढुलाई के बारे में बताया गया है. वहीं धारा 164 और धारा 165 ट्रेन में गैरकानूनी तरीके से आपत्तिजनक सामान लाने के बारे में बताती है.

इस में तीन साल तक की कैद या 500 रुपये से 1,000 रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार निजी पर्यटक दलों को लिखित घोषणा देनी होती है कि वे अपनी यात्रा के दौरान कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जाएंगे. इस मामले में भी प्राइवेट पार्टी ने घोषणा पत्र दिया था कि वे कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जाएंगे. हालांकि नियम के विपरीत ले जाये गये वस्तुओं की जांच नहीं कर इस मामले में रेलवे भी बराबर का दोषी बन रहा है.

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