रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
44 नयी वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन को लेकर रेलवे और केंद्र सरकार के दावों की हवा आईसीएफ के उस पत्र से निकाल दी है जिसमें उसने प्रोटोटाइप रेक के व्यावसायिक इस्तेमाल में कम से कम 28 महीने लगने की बात कही है. 14 जुलाई को रेलवे बोर्ड को भेजे पत्र में ICF की ओर से बताया गया है कि इसके अतिरिक्त श्रृंखला के उत्पादन को शुरू करने में छह माह लग सकते हैं और बाद में 44 रेक में से प्रत्येक के श्रृंखला उपकरण की आपूर्ति में एक माह का समय लग जायेगा. इस अनुमान से 44 रेक को पटरी पर उतारने में 78 महीने ल्रग सकते हैं यानी 2027 से पहले सभी ट्रेनों का परिचालन संभव और संशय के बीच झूलता रहेगा. जबकि रेलवे वंदे भारत की 44 रेक को 2021-22 में पटरी पर दौड़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा.
इस बीच मंगलवार 28 जुलाई को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने मीडिया को यह कहकर संशय दूर करने का प्रयास किया कि वंदे भारत के रेकों को एक सात्थ रेलवे की तीन इकाइयों में बनाया जायेगा. यह इकाईयां कपूरथला स्थित रेलवे कोच फैक्ट्री, रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री और चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री शामिल हैं. यादव ने कहा, ‘कुछ माह पहले निर्णय लिया गया था कि रेलवे की तीन विनिर्माण इकाइयां इन ट्रेनों का निर्माण करेंगी, जिससे उनके निर्माण में लगने वाले समय में कमी आएगी. ये 44 ट्रेनें अगले दो से तीन वर्षों में चलनी शुरू हो जाएंगी. एक बार निविदा को अंतिम रूप देने के बाद एक निश्चित समयावधि उपलब्ध कराई जाएगी.’
रेलवे के जानकार भी मानते है कि दो साल मे यह लक्ष्य हासिल करना लगभग असंभव है. वंदे भारत के रेक डिजाइन, निर्माण और दूसरे कार्यों को पूरा करने में 18 माह लगे थे. इसमें लगभग 100 करोड़ की लागत से दो रेक निर्मित हो गये जिनका परिचालन दिल्ली-वाराणसी और दिल्ली-कटरा के बीच चल रहा है. रेलवे इस सेवा का पूरे भारत में विस्तार करना चाहती है. वंदे भारत ट्रेन में यात्रियों को हाई-स्पीड ऑन बोर्ड वाई-फाई, जीपीएस आधारित पैसेंजर इंफोर्मेशन सिस्टम, टच फ्री बायो वैक्यूम टॉयलेट्स, एलईडी लाइट्स, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स और क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम जो तापमान को अपने आप एडजस्ट कर देता है आदि लगे हैं.