- नागपुर से भोपाल होते हुए इंदौर पहुंचा कीमोथैरेपी के लिए 2.50 लाख का इंजेक्शन
रेलहंट ब्यूरो, भोपाल
एक बार फिर रेलवे ने अपने नियमों को दरकिनार कर संवेदनशीलता का बड़ा उदाहरण पेश करते हुए कैंसर पीड़ित महिला को दवा पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी. पश्चिम मध्य रेलवे ने लॉकडाउन में महिला को समय से कीमोथैरेपी की दवा पहुंचाने के लिए अपने भोपाल पार्सल कार्यालय को शाम समय पूरा होने के बाद भी खोले रखा और इंदौर स्टेशन पर कैंसर पीड़ित महिला को दवा उपलब्ध कराने में नियमों में लचीलता दिखायी.
यह कवायद की गयी 42 साल की इंदौर निवासी अर्चना जैन के लिए जो कैंसर पीड़ित हैं. कीमोथैरेपी के लिए उन्हें जो इंजेक्शन चाहिए था वह लॉकडाउन के कारण इंदौर, भोपाल, दिल्ली आदि जगह नहीं मिल सका. अर्चना जैन के भाई और भोपाल विकास प्राधिकरण में अधीक्षण अभियंता हंस कुमार जैन ने दोस्तों की मदद से नागपुर में इंजेक्शन खोजा और नागपुर से इंजेक्शन इंदौर पहुंचाने के लिए रेलवे की मदद मांगी. जो दवा पार्सल ट्रेन में भेजी जानी थी वह भी इंदौर की जगह भोपाल तक ही जाने वाली थी.
ऐसे में भोपाल में रह रहे हंस कुमार ने पार्सल ट्रेन से इंजेक्शन मंगाया. 24 अप्रैल की शाम छह बजे पहुंचाने वाली पार्सल ट्रेन से पहले पार्सल ऑफिस बंद हो जाने को देखते हुए उन्होंने डीआरएम उदय बोरवणकर को ट्वीट कर मदद मांगी. डीआरएम बोरवणकर ने 24 अप्रैल को विशेष अनुमति देकर पार्सल ऑफिस शाम छह बजे तक खुला रखने के निर्देश दिया ताकि मरीज तक दवा पहुंचायी जा सके. यही नहीं नागपुर से पार्सल एक्सप्रेस के पहुंचते ही सीधे हंस कुमार को शाम छह बजे इंजेक्शन की डिलीवरी दे दी गयी. दूसरे दिन 25 अप्रैल को सड़क मार्ग से इंजेक्शन को इंदौर पहुंचाया गया, तब जाकर अर्चना की कीमोथैरेपी हो सकी.
हंस कुमार जैन ने बताया कि ढाई लाख का यह इंजेक्शन यादि समय पर नहीं पहुंचता तो न सिर्फ पैसे का नुकसान होता बल्कि मरीज को भी परेशानी होती. लेकिन डीआरएम और रेलकर्मियों के सहयोग से उनकी बहन की कीमोथैरेपी समय पर हो सकी. उन्होंने भोपाल डीआरएम उदय बोरवणकर का आभार जताया.
साभार : जागरण