- दक्षिण पूर्व रेलवे में खड़गपुर, आद्रा और रांची रेलमंडल में सामने आ चुके हैं मामले, हो चुकी है कार्रवाई
- सीनियर डीईई ओपी के आदेश को चुनौती देने की तैयारी में यूनियनें, प्रबंधन का रुख भी कुछ लचीला
- रेलवे मेंस कांग्रेस लड़ेगी चालक व सहचालकों की लड़ाई, सिस्टम की पोल खोलेगी : एसआर मिश्रा
चक्रधरपुर रेल मंडल में लेसिक सर्जरी के पेंच में फंसे 54 रनिंग कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गयी है. यह सब हुआ है सीनियर डीईई (ओपी) राजेश रौशन के एक आदेश से जिसने चार दर्जन से अधिक रनिंग कर्मचारियों को परेशानी में डाल दिया है. हालांकि लेसिक सर्जरी केस के दायरे में आये दो लोको पायलटों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है जबकि आठ की बर्खास्तगी आदेश पर मुहर लगने वाली है. वहीं चार दर्जन से अधिक लोग डीए इंक्वायरी का सामना कर रहे जो आंखों का ऑपरेशन करवाने के बाद मेडिकल डीकैट हो कर विभिन्न विभागों में क्रू कंट्रोलर एवं वरीय लिपिक के पदों पर कार्य कर रहे. रेल प्रशासन बिना सूचना ऑपरेशन कराने वालों से स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई करने की तैयारी में है.
सीनियर डीईई ओपी के आदेश के बाद इसके जद में आने वाले रनिंग कर्मचारियों में बेचैनी है. रविवार 16 अप्रैल को बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने रेलवे मेंस कांग्रेस कार्यालय जाकर एनएफआईआर के सहायक महासचिव एसआर मिश्रा के सामने अपनी परेशानी रखी. यहां एसआर मिश्रा ने सभी रनिंग कर्मचारियों को आश्वस्त किया की किसी को भी सेवा से बर्खास्त नहीं होने दिया जायेगा और अगर इसके लिए सड़क पर उतर कर आंदोलन करना पड़े तो भी किया जायेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे मेंस कांग्रेस सभी लॉबी पर पोस्टर अभियान चलाकर जो गलतियां पूरी अनुशासन और अपील के दायरे में की गई है, उसे सार्वजनिक करेगा. इसके बाद मंडल मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा.
उन्होंने सवाल उठाया कि एक माह पूर्व स्थानांतरण हो चुके अधिकारी प्रभार की स्थिति में नीतिगत निर्णय कैसे ले सकता है? कहा कि 20 मार्च को Sr DEE(OP) का तबादला होने के बाद जो भी लॉबी ट्रांसफर हुए हैं उनकी जांच की मांग डीआरएम से की जायेगी. यहां पहुंचे रेलकर्मियों ने बताया कि जो लोको इंस्पेक्टर इस अनुशासन और अपील की इंक्वायरी कर रहे हैं उन्हें भी उक्त अधिकारी द्वारा धमकी दी जा रही है ताकि रिपोर्ट प्रशासन के पक्ष में किया जा सके. मिश्रा ने कहा कि यह सब बातें जीएम व वरीय अधिकारियों के संज्ञान में लायी जायेंगी. उन्होंने कहा कि जो लोग सेवा से बर्खास्त किए गए हैं उन्हें भी जल्द ही बहाल किया जायेगा.
इस बीच चक्रधरपुर में दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने डीआरएम से मिलकर अनुरोध किया कि लेसिक केस होने वाले कठोर दंड से कर्मचारियों को राहत दी जाये. अब यह राहत रनिंग कर्मचारियों को किन शर्तों पर मिलने वाली है यह तो समय बतायेगा लेकिन फिलहाल रेल प्रशासन का रुख इस मामले में कुछ लचीला है और यूनियन नेताओं को इसका समय दिया जा रहा है कि वो अगर कुछ कर सकते हैं तो ऊपर से कुछ ऐसा गाइडलाइन करा दें ताकि उनके सामने उत्पन्न विवशता भी नहीं रह जाये.
ऑपरेशन कर आंखें कमजोर करायी ताकि बाबू का काम मिले और 30% बढ़ जाये सैलरी
रेलवे के नियमों के अनुसार ड्यूटी पर आंखों की रोशनी कम होने से ड्राइवरों को लिपिक कार्य देना है. यही नहीं 30% की वेतन बढ़ोतरी भी उन्हें दी जाती है. अब रेल प्रशासन यह मान रहा है कि बिना सूचना दिये आंखों की सर्जरी करने वाले लोको पायलटों ने यह सब निहीत स्वार्थवश किया. कहां जा रहा है कि 5-7 साल पहले नौकरी शुरू करने समय की मेडिकल जांच में इनकी आंखों की रोशनी बिल्कुल ठीक थी, मगर अब मेडिकल जांच में सबकी दृष्टि थोड़ी कमजोर पायी गयी है. इसके बाद रेल प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए ऐसे लोगों पर डीए इंक्वायरी शुरू की.
लेसिक सर्जरी का मामला दक्षिण पूर्व रेलवे में नया नहीं है. इससे पहले रांची, आद्रा और खड़गपुर रेलमंडलों में इसका खुलासा हो चुका है. सबसे पहले यह खुलासा खड़गपुर रेल मंडल में रेलवे के डॉक्टर ने किया था. डॉक्टर को शक हुआ तो उसने जांच के लिए लोको पायलट को दक्षिण-पूर्व रेलवे मुख्यालय अस्पताल भेजा. वहां की जांच में भी जब स्थिति स्पष्ट नहीं हुई तो कोलकाता के एक निजी अस्पताल में जांच करायी गयी. इसके बाद यह पता चला कि ट्रेन ड्राइवरों ने लेसिक लेजर ऑपरेशन से आंखों का पावर कम करवाया है. इसके खुलासे के बाद रेलवे बोर्ड ने दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन के सभी ट्रेन ड्राइवरों की आंखों की जांच शुरू करायी. रांची, चक्रधरपुर, आद्रा, खड़गपुर में ऐसे कई केस मिले. सभी को ऑपरेशनल ड्यूटी से हटा दिया गया है.
खड़गपुर डिवीजन में हुई थी इंक्रीमेंट रोकने की कार्रवाई, मिल सकता है राहत
रेलवे बोर्ड नेअगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर आंख जांच को लेकर नयी गाइडलाइन जारी की है. इसमें टोकन पोर्टर समेत अन्य श्रेणी के रेलकर्मियों की स्वास्थ्य जांच में लेसिक सर्जरी पर नजर रखनी है. यूनियन नेताओं का तर्क है कि लेसिक सर्जरी के मामले में पहले ही दक्षिण पूर्व जोन के खड़गपुर मंडल में तीन इंक्रीमेंट रोकने की कार्रवाई की गयी है. फिर एक ही जोन में एक तरह के आरोप के लिए दो तरह की सजा कैसे दी जा सकती है? अगर रेलवे यूनियनों का दबाव काम आया तो बर्खास्तगी के मुहाने पर खड़े रनिंग कर्मियों को राहत मिल सकती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा.