- आरपीएफ आइवीजी की रिपोर्ट पर मुख्यालय ने लिया संज्ञान, जारी किया आदेश
- माल गोदाम में रात के समय ट्रक व भारी वाहनों की पार्किंग कराकर की जा रही उगाही
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे के माल गोदाम अवैध माल उगाही का अड्डा बन गये है. देश के सभी बड़े माल गोदामों में आरपीएफ व कामर्शियल के अधिकारियों की मिलीभगत से भारी वाहनों की पार्किंग कराकर रुपये की वसूली की जा रही है. माना जा रहा है कि देश भर के माल गोदाम में चल रही इस अवैध वसूली की राशि लाखों नहीं बल्कि करोड़ों में है. इस राशि का बंदरबाद कामर्शियल विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों से लेकर आरपीएफ के अधिकारी व जवान तक में हो रही है. इससे रेलवे के राजस्व का चूना लगाकर रेलकर्मी मलामाल हो रहे हैं.
आरपीएफ आईवीजी की इस रिपोर्ट पर रेलवे बोर्ड ने संज्ञान लेते हुए सभी जोनल आईजी को इस बाबत तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है. आरपीएफ आईजीवी कर रिपोर्ट पर जारी आदेश पत्र इन दिनों पूरे आरपीएफ महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह माना जा रहा है कि अगर इस आदेश पर कड़ाई से अमल शुरू कर दिया जाये तो आरपीएफ के अधिकारी से लेकर जवान और कामिर्शयल विभाग के कर्मचारियों की अवैध कमाई का एक बड़ा स्रोत बंद हो जायेगा. जाहिर सी बात है कि इसका उन अधिकारियों पर भी पड़ेगा जो इन्हें संरक्षण देते हैं.
आरपीएफ आईवीजी ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के संज्ञान में यह बात लायी है कि रेलवे को मालगोदाम में दिन और रात के समय व्यापारियों के ट्रक-कंटेनर आदि को खड़ा करने के लिए अनाधिकृत रूप से स्वीकृति दी जाती है जिसके बदलने में बड़ी रकम हर माह आरपीएफ और वाणिज्य विभाग के कर्मचारियों को मिलते हैं. इस पूरे मामले में दोनों विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक एक दूसरे से समन्वय बनाकर चलते है इस कारण इस कृत्य पर कभी कोई कार्रवाई अथवा शिकायत की बात सामने नहीं आती है. न तो माल गोदाम में ट्रकों के खड़ा किये जाने को लेकर कामर्शियल आरपीएफ से शिकायत करता है और नही कभी आरपीएफ के अधिकारी व जवान कामर्शियल के कर्मचरियों को इसकी लिखित रिपोर्ट करते है.
कुल मिलाकर दोनेां की सहमति से यह धंधा सालोंसाल चलता रहता है और रेलवे के राजस्व का बड़ा हिस्सा दोनों विभाग के कर्मचारी हजम कर जाते है. हालांकि माल गोदाम में अनाधिकृत रूप से वाहनों के पड़ाव को लेकर पहले भी कई बार कार्रवाई के साथ ही कड़े दिशानिर्देश भी दिये गये है लेकिन बड़ी रकम की उगाही और नीचे से ऊपर तक मौन सहमति के बीच काम धड़ल्ले से चलता है.
रेलवे बोर्ड के आदेश से यह बात तो साफ हो गयी है कि यह धंधा चल रहा है लेकिन अब धंधे पर रोक के लिए क्या उपाय किये जायेंगे यह स्पष्ट नहीं है. फिलहाल रेलवे बोर्ड से पत्र में अवैध पार्किंग के लिए ट्रकों पर की जाने वाली कार्रवाई का जिक्र नहीं है. इसमें सिर्फ आपीएफ द्वारा की जाने वाली अवैध उगाही पर नजर रखने की बात कही गयी है. सवाल यह उठता है कि इस अगाही पर नजर कौन रखेगा और जब धंधे में उपर से नीचे तक अधिकारी संलिप्त है तो अपने आय के एक बड़े स्रोत को कौन बंद करना चाहेगा?
कुल मिलाकर रेलवे बोर्ड के इस फरमान के कागजी बन जाने की आशंका बलवती हो रही है. यह भी संभव है कि माल गोदाम से संबंध रखने वाले कुछ बाहरी लोग भी इस मामले में शिकायत दर्ज कराकर अपना धंधा चमकाने और अवैध वसूली में हिस्सा पाने का प्रयास कर सकते हैं. रेलवे में तय समय से ज्यादा समय तक मालगोदाम में माल रखने पर व्हारफेज नाम से चार्ज देना पड़ता है. वही तय से ज्यादा समय तक मालगाड़ी से माल उतारने में समय लगने पर ज्यादा समय का डैमरेज चार्ज देना पड़ता है. इसकी मॉनिटरिंग का कोई तंत्र यहां तैयार नहीं है. ऐेसा में इस आदेश का कोई मायने होगा यह कहना अतिश्योक्ति होगी.
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