NEW DELHI. ड्यूटी के दौरान शराब पीने वाले रेल कर्मचारियों की पहचान के लिए रेलवे द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है. अभियान 27 जनवरी से 10 फरवरी तक चलेगी. 15 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में जांच में पकड़े जाने वाले रेल कर्मियों का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. रेलवे बोर्ड द्वारा जारी इस आदेश के बाद रेलवे के सभी जोन व डिवीजन में अधिकारी अभियान में जुट गए है. अधिकारी औचक तरीके से अलग-अलग रेलवे स्टेशन और कार्यालय पर पहुंचकर रेल कर्मियों की जांच कर रही है.
ज्ञात हो कि रेलवे बोर्ड द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि रेल अधिकारी और सुपरवाइजर सभी स्टेशनों पर जाकर पोर्टेबल ब्रेथलाइजर से आकस्मिक जांच कर शराबी कर्मचारियों की पहचान करेंगे. इसके अलावा अधिकारी और सुपरवाइजर अपने अधीन काम करने वाले नियमित या कभी कभार शराब पीने वाले कर्मचारी की भी पहचान करेंगे. इसके बाद इन शराबी कर्मचारियों की लिस्ट तैयार की जाएगी. इसके बाद इन कर्मचारियों पर विशेष नजर रखी जानी चाहिए.
बोर्ड ने अपने आदेश में कहा है कि इस अभियान के दौरान ड्यूटी पर तैनात सभी रनिंग स्टाफ (लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड), ट्रेन पासिंग स्टाफ/ कंट्रोल स्टाफ और मेंटेनेंस स्टाफ को विशेष रूप से कवर किया जाना चाहिए. इस अभियान में मुख्यालय से विभागों के अधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए. पीसीएसओ को ऐसे मामलों का गंभीरता से विश्लेषण करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि नियम के अनुसार शराबी कर्मचारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाए. साथ ही इस कार्रवाई की जानकारी 10 फरवरी तक रेल बोर्ड को भेजने की भी निर्देश दी गई है.
इस समय रेलवे में रनिंग विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी पर आने वापस जाने के दौरान ब्रीद एनॉलाइजर मशीन से जांच होती है. मशीन में शराब की पुष्टि होने पर कर्मचारी को निलंबित कर दिया जाता है. बाद में चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारी को काम पर ले लिया जाता है. हालांकि रेलवे ने जो शराब नीति का मसौदा तैयार किया था उसके अनुसार ब्रीद एनॉलाइज जांच में 20 मिलीग्राम तक शराब पाए जाने पर कर्मचारी को पहली बार निलंबित कर दिया जाए. दूसरी बार की जांच में भी यदि यही आता है तो ऐसे कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया जाए.