- ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर बढ़ रहे दवाब के बीच सामने आयी रिपोर्ट
NEW DELHI. क्या सही में रेलवे का रेवेन्यू बुरी तरह प्रभावित हुआ है ? सातवें वेतन आयोग को लागू करने और कोरोना महामारी के कारण उस पर जो दबाव बढ़ा है उससे वह अब तक ऊबर नहीं पाया? ऐसा दावा किया जा रहा है कि नेट रेवेन्यू (Railway Revenue) बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इस कारण रेलवे को पेंशन देना मुश्किल हो रहा. रेलवे ने वित्त मंत्रालय से सहयोग मांगा है. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच यह खबर चौंकाने वाली है.
बिजनस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक संसद में पिछले हफ्ते पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में यह बात सामने आयी. रेलवे पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन रेलवे ने रिपोर्ट मांगी थी कि उसकी सिफारिशों पर क्या कदम उठाए हैं. इसमें रेलवे ने कहा है कि 2022-23 में वह अपने दम पर पेंशन का भुगतान करने में सफल रहा लेकिन उसने स्टैंडिंग कमेटी के जोर देने पर फाइनेंस मिनिस्ट्री से कुछ मदद मांगी है.
ऐसा बताया जा रहा है कि रेलवे पर पेंशन की देनदारी बढ़ी है. यह खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. रेलवे कर्मचारियों को वेतन व पेंशन माल ढुलाई और पैसेंजर सेवा से होने वाली कमाई से करता है. दावा किया जा रहा कि कुछ साल में रेलवे का राजस्व प्रभावित हुआ है. इसके लिए कोरोना काल में बंद ट्रेनों का रोना हर बार रोया जाता है. कहां जा रहा कि पांच साल में रेलवे का वर्किंग एक्सपेंडीचर बिल जिस अनुपात में बढ़ा है, उसमें रेवेन्यू नहीं बढ़ा है. सातवें वेतन आयोग से अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में रेलवे को पेंशन के तौर पर 62,000 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं. इससे उसका बजट खर्च बढ़ेगी. हालांकि रेलवे ने इसके लिए अतिरिक्त इंतजाम भी कर रखा है. हालांकि इन सभी दावों से अलग करके देखा जाये तो घाटा बताकर ही रेलवे ने यात्रियों को दी जाने वाली कई छूटों काे खत्म कर दिया है. इसमें बुजुर्गों को दी जाने वाली रियायत भी शामिल है. बड़े बजट की योजनाएं ली जा रही है. रेलवे में अनाप-शनाप खर्च बढ़ा है. जिसे नियंत्रित करने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाये जा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट