नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड ने देश में मरम्मत की जरूरत वाले सभी रेल पुलों की समीक्षा का आदेश दिया है। बोर्ड ने पाया है कि इस तरह के 275 पुलों में केवल 23 में ही गति पाबंदी है। बोर्ड ने इससे पहले पुलों की स्थिति के बारे में विवरण मांगा था।
बोर्ड ने कहा है कि कुछ जोनल रेलवे में लंबे समय से बड़ी संख्या में मौजूदा पुलों के मरम्मत की जरूरत है। मध्य रेल में 61, पूर्व-मध्य रेल में 63, दक्षिण मध्य रेल में 41 और पश्चिमी रेल में 42 पुलों के पुनर्निर्माण लंबित हैं। रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को इस बात के लिए भी फटकार लगाई थी कि वे पुलों की सुरक्षा को लेकर प्रोसीजर का पालन करने में नाकाम हैं। पुराने व कमजोर पुलों पर भी शर्तों के आधार पर ही स्पीड पाबंदी लगाई गई है।
रेल पुलों की तीन रेटिंग
रेलवे पुलों को तीन रेटिंग देता है। इसमें संपूर्ण रेटिंग नंबर ओआरएन-1, 2, 3 है। इसमें ओआरएन-1 रेटिंग पुलों में तुरंत निर्माण या उसके बदले में पुल की मांग का संकेतक है। ओआरएन-2 रेटिंग के तहत कार्यक्रम आधार पर पुनर्निर्माण होना चाहिए, वहीं ओआरएन-3 पुलों को खास मरम्मत की जरूरत होती है।
पुलों की मरम्मत के निर्देश
रेलवे बोर्ड ने सितंबर माह के अपने आदेश में कहा था कि ऐसा लगता है कि रेलवे ने अपने पुलों के मरम्मत को लेकर कोई समयबद्ध योजना तैयार नहीं की है, जिससे ये संदेह होता है कि पुलों की स्थिति वाकई कैसी है। क्या उनकी रेटिंग ठीक ढंग से दी गई है।
275 रेलवे पुलों की हालत खराब
देश में मरम्मत की जरूरत वाले पुराने हो चुके 275 रेल पुलों में से सिर्फ 23 पर ट्रेनों की स्पीड की पाबंदी लगाई गई। यह जानकारी रेलवे बोर्ड को रेल पुलों की स्थिति को लेकर मांगी गई एक रिपोर्ट से मिली। रिपोर्ट में बताया गया है कि 252 रेलवे ब्रिज ऐसे हैं, जिन पर ट्रेन सामान्य गति से पार करती हैं, जबकि ये पुल काफी पुराने हैं और इनकी हालत ऐसी नहीं है कि ट्रेन को तेज रफ्तार से गुजरें।