एमसीएफ व अन्य उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण का कोई औचित्य नहीं : मजदूर संघ
रायबरेली. रेलवे बोर्ड के मेंबर आफ ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक डीसी शर्मा ने रायबरेली में मॉडर्न रेलकोच फैक्ट्री MCF का शनिवार 30 अप्रैल को निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने MCF की व्यवस्था, उत्पादन को लेकर अधिकारियों से विचार-विमर्श किया. इस क्रम में यहां के मैनपावर को लेकर भी गंभीरता से वार्ता हुई. निरीक्षण के दौरान एमसीएफ मजदूर संघ के नेताओं ने मेंबर ट्रैक्शन से मिलकर बात की और उनके समक्ष अपनी मांगों को गंभीरता से रखा.
MCF के प्रशासनिक भवन में संघ के उपाध्यक्ष राजेन्द्र यादव, महामंत्री सुशील कुमार गुप्ता, गिर्राज सैनी, सचिन साहू, कुणाल रोशन, रामसन अग्रहरि आदि ने मेंबर के सामने मॉडर्न कोच फैक्ट्री समेत रेल की तमाम उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण की योजना पर सवाल उठाया. संघ की ओर से बताया कि एमसीएफ लगातार अपनी क्षमता से अधिक उत्पादन कर रहा है वह भी ऐसे में जबकि यहां स्वीकृत पद से 50% कर्मचारी कम हैं. दो साल में एमसीएफ रेल मंत्रालय से सर्वोत्तम उत्पादन इकाई का पुरस्कार भी ले चुका है. ऐसे में एमसीएफ व अन्य उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण का कोई औचित्य नहीं है.
मजदूर संघ के महामंत्री सुशील गुप्ता ने रेलवे बोर्ड मेंबर के सामने यह बात रखी कि एमसीएफ में स्वीकृत 5082 पद है जिनके रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाये. यहां ठेका प्रथा को खत्म कर उत्पादन के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या बढ़ायी जाये. एमसीएफ के कर्मचारियों को भी इंसेंटिव मिले. बिना किसी सीलिंग के एनडीए रात्रिभत्ता दिया जाये. रेलकर्मियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिले. एमसीएफ में बन्दे भारत कोचों का उत्पादन शुरू किया जाये. मजदूर संघ ने MCF के केंद्रीय विद्यालय में और सेक्सन बढ़ाने, MCF के हॉस्पिटल को वापस दिलाने, आवसीय परिसर में लगे झंडे का उद्घाटन कराने की भी मांग रखी. मेंबर रोलिंग स्टॉक ने सभी मांगों पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है.