- सबसे अधिक पद नॉदर्न रेलवे में 2350 किये जायेंगे सरेंडर, उसके बाद सेंट्रल रेलवे में 1200
- ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ श्रेणी के पद सरेंडर कर इनकी कीमत को इम्पलाईज बैंक में जमा किया जायेगा
नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने 16 जोन में 13,450 पदों को सरेंडर करने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए बकायदा सभी जोनल महाप्रबंधकों को 20 मई को आदेश जारी कर दिया गया है. इसमें चार बिंदुओं पर कार्ययोजना बनाते हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 में अलग-अलग जोन में अलग -अलग संख्या में पदों को सरेंडर करने का आदेश दिया गया है. सबसे अधिक पद नार्दन रेलवे में सरेंडर करने का लक्ष्य है जिसकी संख्या 2350 है. इसके बाद सेंट्रल रेलवे में 1400 पद सरेंडर करने के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया गया है. रेल मंत्रालय ने वर्क स्टडी प्रोग्राम के तहत पदों को सरेंडर करने का दिशा-निर्देश सभी जीएम को दिया है.
हर जोन के महाप्रबंधकों को खत्म किये जाने वाले पदों को चिन्हि्त करने को कहा गया है. रेलवे बोर्ड का मानना है कि तकनीक के बढ़ते उपयोग के बाद कार्यालय से लेकर दूसरे स्थानों पर वर्क लोड की तकनीकी रूप से समीक्षा किये जाने की जरूरत है. कहा गया है कि पदों को सरेंडर करने और राजस्व की बढ़ोतरी से जुड़े नये पद सृजत किये जाने के लिए कार्य योजना बनायी जाये. इस आदेश के अनुसार रेलवे के ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ श्रेणी के रेल कर्मचारियों के 13,450 पद चालू वर्ष में सरेंडर (खत्म) किए जाएंगे और इनकी कीमत को इम्पलाईज बैंक में जमा करने के लिए कहा गया है.
मालूम हो कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के दिन ही उत्तरी रेलवे के लखनऊ डिवीजन में लगभग 26,000 नौकरियां खत्म करने फरमान जारी किया गया था. उस समय वित्तीय वर्ष में एक फीसदी पदों को खत्म करने का टारगेट दिया गया है. यही लक्ष्य देश के सभी रेल मंडलों को दिया गया था. जिसकी कुल संख्या 164 थी. इस तरह 30 मई 2019 को एक ओर राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के 57 सदस्य शपथ ले रहे थे उसी समय लखनऊ डीआरएम ने पद सरेंडर करने की अधिसूचना जारी कर दी थी.
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इसके बाद से हर साल पदों के सरेंडर करने का नया लक्ष्य जोनों को दिया जाता रहा है. रेलवे की दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशन विरोध की रश्मअदायगी भी करते रहे है, हालांकि रेलवे की अपनी निजीकरण व निगमीकरण की योजना भी अपनी रफ्तार से चल रही है. इसका बड़ा उदाहरण कोरोना के संक्रमण काल में जोनल महाप्रबंधकों को पद सरेंडर करने का नया लक्ष्य दिया जाना है.
नये आदेश पर दो-तीन माह में कार्य शुरू भी हो जायेगा. रेलवे बोर्ड के सूत्रों की माने तो उन्हीं पदों को सरेंडर किया जायेगा जिनका वर्तमान में कोई औचित्य नहीं रह गया है. ऐसा लगातार रेलवे में अपनायी जाने वाली तकनीक के कारण संभव हो रहा है. इसके लिए यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के साथ ही लागत खर्च को कम करने का दवाब भी है. हर जोन में इसके लिए कार्ययोजना बनायी जायेगी और उसके अनुसार ही पदों को सरेंडर किया जायेगा.
हालांकि रेलवे यूनियन के नेताओ का यह कहना है कि रेलवे में चल रहे प्राइवेटाइजेशन की वजह से ही नौकरियां ख़त्म हो रही हैं.
कोरोना काल में हजारों की संख्या में रेलकर्मी अकाल मौत के शिकार हुए है. यदि रेलवे इन हजारों पदों को भी इम्प्लाइज बैंक में जमा करने का निर्णय भविष्य ले लें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
यूनियन नेता यह भी मान रहे है कि अब उनका विरोध रेल प्रशासन अथवा सरकार के आगे गौण हो गया है उनकी बात सुनी ही नहीं जा रही है. तर्क यह दिया जा रहा है कि कई विभागों को पहले ही आउटसोर्स कर दिया है जिससे कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं बचा है. लिहाजा पदों को सरेंडर किया जा रहा है. अब सवाल उठता है कि कोरोना के संक्रमण काल में अचानक पदों को सरेंडर करने की घोषणा पर यूनियनों का क्या रूख होता हैं.
रेलवे पदों की संख्या
- नॉदर्न रेलवे 2350
- सेंट्रल रेलवे 1400
- ईस्टर्न रेलवे 1300
- साउथ रेलवे 1300
- साउथ सेंट्रल 900
- साउथ ईस्ट 900
- वेस्टर्न रेलवे 900
- नॉर्थ ईस्ट 750
- नॉर्थ फ्रंटियर 650
- नॉर्थ वेस्टर्न 600
- ईस्ट कोस्ट 500
- साउथ ईस्ट सेंट्रल 500
- ईस्ट नॉर्थ 400
- नॉर्थ सेंट्रल 400
- साउथ वेस्ट 300
- वेस्ट सेंट्रल 300
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