- नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन ने जोनल कामर्शियल कान्फ्रैंस का किया आयोजन, संघर्ष का एलान
- रेल कर्मचारियों का भरोसा सिर्फ “लाल झंडे” पर : शिवगोपाल मिश्रा
रेलहंट ब्यूरो, मुंबई
नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन के जोनल कामर्शियल कान्फ्रेंस में आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि देश भर में रेलकर्मचारियों का लाल झंडे पर भरोसा है, हमें भरोसे को कायम रखने के लिए रेल को बचाने के लिए होने संघर्ष में आगे बढ़कर लड़ाई का नेतृत्व करना होगा. सेंट्रल रेलवे एनआरएमयू के महामंत्री वेणू पी नायर ने ऐलान किया कि एआईआरएफ महामंत्री से निर्देश मिलने के आधे घंटे के भीतर रेल का चक्का जाम हो जाएगा. इस कान्फ्रेंस में कामर्शियल से जुडे नेताओं ने तमाम मुश्किलो का जिक्र करते हुए महामंत्री से इसके समाधान की अपील की.
नौ अगस्त यानि अगस्त क्रांति के दिन नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन ने जोनल कटैगरीकल कान्फ्रेंस का आयोजन कर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष का बिगुल बजाया. कान्फ्रैंस में मौजूद आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैड़रेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि भारतीय रेल में लगभग 728 कटेगरी है, ऐसे में किसी एक आयोजन में सभी मसलों चर्चा करना आसान नहीं है, ऐसे में कटेगरीकल कान्फ्रेंस के जरिए संबंधित कर्मचारियों के मुद्दों पर चर्चा करना जरूरी है. महामंत्री ने कहाकि वैसे तो कामर्शिलय महकमें को रेलवे बोर्ड अपना अंबेसडर बताता है, लेकिन उनकी समस्याओं के प्रति लापरवाह बना हुआ है. रेलवे बोर्ड के सामने टीटीई के रनिंग रूम के बारे में कई बार चर्चा हो चुकी है, बोर्ड से आदेश भी जारी हो चुका है, लेकिन देश भर मे रनिंग रूम की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है.
रेल मंत्रालय कस्टमर सटिस्फेक्शन की बात तो करता है, लेकिन कर्मचारियों के सटिस्फेक्शन को लेकर पूरी तरह लापरवाह है. कामर्शिलय महकमें अविश्वास की वजह से और भी काम प्रभावित हो रहा है. इस कैडर के कर्मचारियों को रेल महकमा ज्वाइन करते ही बेईमानों की कटेगरी में रख दिया जाता है. हर कर्मचारी के पीछे विजीलेंस की तलवार लटकी रहती है. आरक्षण काउंटर अभी खुला भी नहीं होता है कि कर्मचारी से पूछताछ शुरू हो जाती है. अगर कर्मचारी के पास एक रुपये भी अधिक निकल जाए तो उसे तड़ीपार कर दिया जाता है. एआईआरएफ इस धारा के खिलाफ है. आरक्षण कार्यालयों में नोट गिनने की मशीन तक नहीं है, अगर गलती से एक टिकट भी मिस हो गया तो उससे बारामूला से कन्याकुमारी तक का किराया वसूल किया जाता है. इन सब के खिलाफ हमारी लड़ाई चल रही है. इन हालातों में हमें नए बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना होगा, उनकी नौकरी की सुरक्षा को लेकर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, जो हम कर रहे हैं.
महामंत्री श्री मिश्रा ने कहाकि हम आपकी हर समस्या से वाकिफ है और इसके बारे में संबंधित फोरम पर प्रभावी ढंग से बात भी कर रहे हैं. उन्होंने कहाकि आज हमारे सामने रेल को बचाने की चुनौती है. रेल मंत्रालय ने 100 दिन की जो कार्ययोजना बनाई है, उसमें रेलवे के निजीकरण और उत्पादन इकाइयों के साथ कारखानों का निगमीकरण का प्रस्ताव है. अगर ऐसा हुआ तो न भारतीय रेल सुरक्षित रहेगी, न रेल कर्मचारी सुरक्षित होंगे और न ही रेल यात्रियों को सस्ती रेल सेवा उपलब्ध होगी.
इस बारे में एआईआरएफ ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार रेल के निजीकरण और निगमीकरण पर आगे बढ़ेगी तो देश भर में रेल का चक्का जाम कर दिया जाएगा. महामंत्री ने कहाकि आज रेल प्रबंधन की कार्यप्रणाली को ही समझना मुश्किल है, एक ओर तो जो लोग रिटायर हो रहे है, उन्हें रिइंगेज किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर 55 साल उम्र और 30 साल की नौकरी पूरी करने वालों को घर भेजने की बात हो रही है. महामंत्री ने ऐलान किया कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है, एक कर्मचारी भी घर नहीं जाएगा.
नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री वेणू पी नायर ने एआईआरएफ महामंत्री से कहाकि कर्मचारियों हितों और रेल को बचाने के लिए होने वाले संघर्ष में एनआरएमयू सबसे आगे रहेगा. दिल्ली से आदेश मिलने के आधे घंटे के भीतर पूरे सेंट्रल रेलवे में ट्रेनों का संचालन पूरी तरह ठप हो जाएगा. उन्होंने ऐलान किया कि अगर हम ऐसा करने में कामयाब नहीं हुए तो यूनियन करना छोड दूंगा. श्री नायर ने कहाकि अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना हमारा संवैधानिक अधिकार है, और हम अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना जानते हैं.
श्री नायर ने कहाकि कुछ ट्रेनों को प्राईवेट हांथो में देने की बात हो रही है, लेकिन इन ट्रेनों में पायलट हमारा होगा, गार्ड हमारा होगा, टीटीई हमारा होगा, सुरक्षा हमारी होगी, अगर हमारे रेल कर्मचारी के बगैर किसी भी ट्रेन को चलाने की कोशिश हुई तो एक भी ट्रेन सेंट्रल रेलवे से बाहर नहीं निकल पाएगी. श्री नायर ने कहाकि आज सरकार वादाखिलाफी कर रही है. एआईआरएफ से बातचीत मे तय हुआ था कि हम पांच प्रिंटिग प्रेस को बंद नहीं करेंगे, लेकिन उसे भी बंद करने की साजिश हो रही है. उत्पादन इकाइयों को निगम बनाने की साजिश की जा रही है, कारखानों में आउट सोर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसे भी निगम बनाने की बात कही जा रही है. ऐसा होने पर रेल कर्मचारी खामोश बैठने वाले नहीं है, ये बात सरकार को समझ लेना चाहिए.
कान्फ्रैंस को आईटीएफ की एशिया युवा संयोजक अर्तिका अधीर ने भी संबोधित किया और कहाकि दुनिया के कई देशों में रेल का निजीकरण हो गया है, लेकिन अपने देश में एआईआरएफ की ताकत है कि यहां की रेल का निजीकरण नहीं हो पाया है. उन्होंने कहाकि जिन देशों में रेल का निजीकरण हुआ है, वहां इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे है, कुछ देश में तो निजीकरण के बाद रेल को वापस सरकारी बनाने की भी प्रक्रिया चल रही है. इस कार्यक्रम में वेस्टर्न रेलवे इम्पलाइज यूनियन के महामंत्री जे आर भोसले, एनआरएमयू के अध्यक्ष पी जे शिंदे, सहायक महामत्री कामक्षी समेत तमाम लोग मौजूद थे.
प्रेस विज्ञप्ति