- चक्रधरपुर रेलमंडल के घाघरा हाल्ट पर चल रहा प्रदर्शन, रेल पटरी पर बैठी महिलाएं-बच्चे
- नीमडीह में रघुनाथपुर – पटमदा सड़क मार्ग पर ही जुटे आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका
CHAKRADHARPUR : आदिवासी कुड़मी समाज के आंदोलनकारियों ने 20 सितंबर बुधवार को अपना आंदोलन दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत घाघरा हाल्ट पर शुरू कर दिया है. आंदोलनकारियों ने यहां रेल रोको आंदोलन शुरू करते हुए ट्रेनों का आवागमन रोक दिया. बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनातर के बावजूद आंदोलन रेलवे ट्रैक पर आकर जम गये हैं. घाघरा हाल्ट पर चल रहे प्रदर्शन में रेल पटरी पर महिलाएं-बच्चे बैठे हुए है.
अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लिए आदिवासी कुड़मी समाज ने रेल चक्का जाम की घोषणा की थी. हालांकि कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा मंगलवार शाम जारी आदेश के बाद रेलवे ने रद्द की गयी ट्रेनों को चलाने की घोषणा कर दी थी. हालांकि रेलवे अधिकारियों को भान था कि पश्चिम बंगाल के इतर झारखंड और ओडिशा में आंदोलनकारी अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं.
वहीं हुआ और बुधवार सुबह से चक्रधरपुर के घाघरा हाल्ट पर कुड़मी आंदोलकारियों ने डेरा डाल दिया है. स्टेशन परिसर के पास आंदोलनकारी कुड़मी समाज के लोग डटे हैं, पुलिस बल भी काफी संख्या में तैनात है. घाघरा हाल्ट मनोहरपुर रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर है. यहां सुबह साढ़े नलौ बजे से आंदोलनकारियों पटरी पर बैठ गए. इसके बाद हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग पर परिचालन बंद हो गया है.
रेलवे ने जहां-तहां यात्री गाड़ियों को रोक दिया है. उधर दूसरी ओर ओडिशा के मयूरभंज में भंजूपुर में कुड़मी समाज के लोगों ने बांगरीपोशी-मयूरभंज व शालीमार-पुरी एक्सप्रेस को भी रोककर अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. यहां भी रेल मार्ग जाम है और कुड़मी समाज के लोग अनिश्चितकालीन आंदोलन पर डटे हुए है.
इससे पहले सुबह नीमडीह रेलवे रेलवे फाटक से पूर्व रघुनाथपुर – पटमदा सड़क मार्ग पर ही जुटे आंदोलनकारियों को पुलिस ने आगे नहीं बढ़ने दिया. उन्हें स्टेशन तक पहुंचने ही नहीं दिया गया. कुड़मी जाति को एसटी का दर्जा देने, कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने ,कुड़मी – आदिवासी सरना कोड लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी समाज द्वारा अनिश्चितकालीन रेल टेका ( रेल रोको ) अभियान की घोषणा बुधवार 20 सितंबर से की गई है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को बंगाल के पुरुलिया चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कुड़मियों के आंदोलन को अवैध करार दिया था. कोर्ट ने बंगाल सरकार को आदेश दिया कि वह इस आंदोलन को रोके और रेलवे की संपत्ति की रक्षा करें. आवश्यकता हो, तो केंद्रीय सुरक्षा बल की सहायता लें. कोर्ट ने कहा कि आम लोगों को परेशानी में डालकर किसी आंदोलन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
कोर्ट के इस आदेश के बाद कुड़मी समाज ने बंगाल में आंदोलन स्थगित कर दिया था. बंगाल के कुस्तौर व खेमाशुली में रेल रोको आंदोलन की घोषणा की गई थी. यहां इससे पहले बड़ा आंदोलन किया जा चुका है.
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