जमशेदपुर. रेलवे यूनियन चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही नेताओं में हलचल शुरू हो गयी है. चुनाव में मान्यता को लेकर दोनों फेडरेशन से संबद्ध यूनियन के नेताओं का जनसंपर्क शुरू हो गया है. एक माह के बाद यूनियन की मान्यता को लेकर होने वाले चुनाव को लेकर 28 अक्टूबर को चक्रधरपुर रेलमंडल के आदित्यपुर में मेंस यूनियन ने अभियान चलाया. संयुक्त क्रू और गार्ड लॉबी में सूचना पट्ट पर पोस्टर लगाकर नेताओं ने रेलकर्मियों के बीच जनसंपर्क किया और उनकी समस्याओं पर चर्चा की. इस दौरान एक स्वर में रात्री ड्यूटी भत्ता को लेकर जारी आदेश को वापस लेने की मांग रखी गयी. इसके लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का निर्णय भी लिया गया. जनसंपर्क में डी अरुण, कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश सिंह, एके महाकुड़, आर सिंह समेत कई रेलकर्मी मौजूद थे.
नवंबर अंत में यूनियन की मान्यता को लेकर चुनाव होंगे. इसमें ग्रुप सी व डी (अराजपत्रित) श्रेणी के रेलकर्मी वोट डाल सकेंगे. रेलवे बोर्ड ने चुनाव से पूर्व 30 सितंबर 2020 तक की तिथि तक वोटर लिस्ट बनाने का आदेश जारी किया है. इसके लिए वोटर लिस्ट का पहला प्रकाशन 27 अक्तूबर को किया गया. इस पर आपत्ति-दावा 3 नवंबर तक दर्ज करायी जा सकेगी. उसका निष्पादन 4 नवंबर तक होगा और अंतिम वोटर लिस्ट का प्रकाशन 5 नवंबर को किया जायेगा. उसी वोटर लिस्ट के अनुसार बैलेट चुनाव में रेलकर्मी हिस्सा ले सकेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि चार-पांच दिसंबर को यूनियन की मान्यता के लिए चुनाव हो जायेंगे.
इस चुनाव में यूनियनों के सामने कई बड़ी चुनौतियां है, जिन पर उन्हें रेलकर्मियों के बीच सटीक जबाव लेकर जाना होगा. रात्री ड्यूटी अलाउंस में सीलिंग की सीमा तय करना बड़ा मुद्दा होगा जबकि निजीकरण, निगमीकरण समेत डीए फ्रीज करने पर भी रेलकर्मी यूनियन नेताओं से जबाव मांग सकते हैं.
रेलवे में यूनियन की मान्यता के लिए पहली बार चुनाव मई 2007 में कराये गये थे. इसमें एआईआरएफ (ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन) की नार्दन रेलवे मेंस यूनियन नियम अनुसार 35 फीसदी वोट लेकर सत्ता में आई थी. जबकि एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे) की उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन बड़े मार्जन से निश्चित फीसदी वोट पूरा ना होने के कारण सत्ता से बाहर हो गई थी. परंतु 2013 में दोनों यूनियनों को 35 फीसदी वोट हासिल होने के कारण मान्यता मिल गयी. रेलवे में एआईआरएफ को 17 जोनों में से 14 जोनों में विजय मिली थी. जबकि एनएफआईआर को 17 में से सिर्फ 10 जोन में ही जीत हासिल हुई थी. अब दोनों फेडरेशन से जुड़ी यूनियनें फिर से अपनी मान्यता को लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगी.