रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
देश व्यापी विरोध के बीच रेलवे ने निजी ट्रेनों के परिचालन के लिए बुलाई गई पहली प्री-बिड मीटिंग को बेहतर रिस्पांस मिलने का दावा किया है. इस मीटिंग में देश-विदेश की 16 बड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया. इसमें केंद्र सरकार की तीन पीएसयू कंपनियां के अलावा ऑस्ट्रेलियाई फर्म तक शामिल है. रेलवे की प्री बिड मीटिंग में पीयूसी की तीन कंपनियां आईआरसीटीसी, भेल और राइट्स शामिल हुई जबकि इसके अलावा भारत फोर्ग, बॉम्बारडियर, जीएमआर ग्रुप, गेटवे रेल, वेदांता, मेधा और आस्ट्रेलियाई कंपनी सीएएफ ने भी हिस्सा लिया. निजी ट्रेन चलाने की चर्चाओं के बीच प्री बिड मीटिंग में टाटा, अडानी, स्पाइसजेट, इंडिगो और मेक माई ट्रिप आदि शामिल नहीं हुई है. हालांकि इन कंपनियों ने भी प्राइवेट प्लेयर ट्रेन प्रोजेक्ट में अपनी दिलचस्पी दिखायी थी इसे लेकर यह माना जा रहा है कि 7 अगस्त को होने वाली अगली प्री बिड मीटिंग में ये कंपनियां भी शामिल हो सकती है.
रेलवे अपने नेटवर्क पर निजी कंपनियों की ट्रेन चलाने की अनुमति देने की योजना पर आगे बढ़ रहा है इसका विरोध रेलवे की यूनियनों के अलावा दूसरे मंचों से हो रही है. रेलवे ने देश के 109 मार्गों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त 151 रेलगाड़ियां चलाने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया है. वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण कर उन्हें निजी क्षेत्र को सौंपने की योजना बना रही है. यह काम नीलामी के जरिए किया जाएगा. केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को मर्चेंट्स चैंबर आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री (एमसीसीआई) द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा था कि रेलगाड़ियों के निजीकरण के लिए बोलियां जारी हो चुकीं हैं और इनके लिए अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.
हालांकि रेलवे की इस योजना का विरोध रेलवे के दोनों फेडरेशन कर रहे है. एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा और एनएफआईआर के अध्यक्ष एम राघवैया का कहना है कि रेलवे के संसाधनों पर निजी ऑपरेटरों को ट्रेन चलाने की अनुमति देना किसी प्रकार से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कही जा सकती है. अगर सही में बेहतर सुविधाओं को लेकर कोई प्रतिस्पर्द्धी माहौल देना है कि तो सरकार निजी ऑपरेटरों को उनकी पटरी, उनकी ट्रेन, उनकी सिग्नल प्रणाली विकसित करने को कहें, तभी इसे प्रतिस्पर्द्धी बताया जा सकता है. यूनियन नेताओं ने स्पष्ट रूप से रेलवे को आगाह किया है कि उनका यह प्रयोग औंधे मुंह गिरने वाला है. यह प्रयोग पहले ही विदेशों में पूरी तहर फ्लाप रहा है इसलिए सरकार रेलवे की जनउपयोगी छवि को खराब न करें.