- देश के कई जोनों में एक साथ अलग-अलग ट्रेनों को एक्सप्रेस बनाकर चलाने की हुई घोषणा
- कोविड के बाद ट्रेन चालू करने की वाहवाही ले रही रेलवे ने राजस्व बढ़ाने का नायाब तरीका निकाला
- इससे पहले कई ट्रेनों को सुपरफास्ट बनाकर की गयी थी इसी तरह राजस्व बढ़ाने की कवायद
- कुछ ट्रेनों के स्टॉपेज में भी किया गया बदलाव, हटाया गया कुछ स्टेशनों से ठहराव
नई दिल्ली. कोविड काल में बंद ट्रेनों को चलाने की घोषणा कर रेलवे एक ओर वाहवाही बटोरने का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर इन ट्रेनों को लेकर किये गये कुछ बदलाव यात्रियों की जेब पर भारी पड़ने वाले है. रेलवे ने विभिन्न जोन में कई पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस में बदलकर चलाने की घोषणा की है. इसकी घोषण जोन और डिवीजन के अनुसार अलग-अलग की गयी है.
धनबाद से होकर चलने वाली छह पैसेंजर ट्रेनों को एक मई से एक्सप्रेस बनाकर चलाया जा रहा है. इन ट्रेनों का न्यूनतम किराया 10 रुपये होता था. लेकिन एक्सप्रेस बनाने पर इनका न्यूनतम किराया 30 रुपये हो गया है. यानी किराए में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हो गई है. इससे इन ट्रेनों में सफर करनेवाले यात्रियों के बीच खासी नाराजगी देखी जा रही है, लेकिन अब तक किसी यात्री संगठन अथवा राजनीति दल की ओर से इसे लेकर प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है.
वहीं दक्षिण पूर्व रेलवे जोन से चलने वाली टाटा-इतवारी पैसेंजर को भी 5 मई से एक्सप्रेस (18109, 18110) बनाकर चलाने की घोषणा की गयी है. इसमें किराया एक्सप्रेस का लगेगा जबकि ट्रेन का कोच वहीं होगा, पूर्व के निर्धारित मार्ग व ठहराव भी वहीं रहेंगे. समय भी पूर्व की तरह ही लगेगा. हां, अब उसका किराया एक्सप्रेस का वसूला जायेगा जो छोटे स्टेशनों को जाने वाले यात्रियों के लिए तीन गुना तक हो सकता है. बताया जाता है कि इस ट्रेन के कुछ स्टॉपेज को हटा दिया गया है. इसमें पांच स्टेशन शामिल हैं.
आसनसोल गया मेमू, गया आसनसोल मेमू, आसनसोल वाराणसी मेमू, वाराणसी आसनसोल मेमू, बर्धमान हटिया मेमू, हटिया बर्धमान मेमू पैसेंजर को एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया गया है. इन ट्रेनों में आवागमन अब महंगा हो जाएगा. इन पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस ट्रेन बनाने के बाद इनके ठहराव (स्टेशन) में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी जो ट्रेन जिस स्टेशन पर रुकती थी, वैसे ही उसी स्टेेशन पर रुकेगी. अंतर सिर्फ ट्रेनों के किराए में आया है.
बताया जाता है कि कई जोन और डिवीजन स्तर पर बड़ी संख्या में ट्रेनों को एक्सप्रेस में बदलकर चलाने की घोषणा की गयी है. रेलवे इसके निर्णय का यात्री विरोध तो कर रहे हैं लेकिन अब तक इस निर्णय पर रेलवे की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
मालूम हो कि इससे पहले भी इसी तरह के एक निर्णय में रेलवे ने देश भर की कई ट्रेनों को एक साथ सुपरफास्ट बना दिया था. तब बिना किसी बदलाव के ट्रेन के किराया में सुपरफास्ट चार्ज जोड़ दिया गया और यात्रियों से अधिक वसूली की जानी लगी. इस तरह एक बार फिर से बिना किसी सुविधा अथवा बदलाव के पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस का नाम देकर रेलवे ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने का इंतजाम कर लिया है. हालांकि इसका विरोध भी शुरू हो गया है. कई यात्रियों ने इस संबंध में जानकारी लेने के बाद कहा कि रेलवे ने बिना किसी अतिरिक्त सुविधा के यात्रियों पर किराया का अतिरिक्त बोझ डाल दिया और कहने के लिए ट्रेन चलाकर सुविधा देने के नाम पर वाहवाही पाने का प्रयास किया जा रहा है.