रेलहंट ब्यूरो, अहमदाबाद
कोरोना के संक्रमण से जूझ रहे देश में एक ओर मरीजों की जान बचाने के मोर्चे पर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों डटे है तो दूसरी ओर प्रशासन और पुलिस व्यवस्था को बनाये रखने में जी-जान से जुटी हुई है. इन सबके बीच देश में जरूरी सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित कराने में रेलवे अपनी भूमिका निभा रहा है. रेलवे की इस भूमिका में रेलकर्मियों की सक्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है जो संक्रमण के बीच स्वयं का बचाव करते हुए दिन-रात जुटकर रेलवे की परिचालन व्यव्स्था को सुचारू बनाने में जुटे हुए है. ऐसी विषम परिस्थितियों में रेलकर्मी परिवार से जुड़े कुछ लोग की कोरोना के दौरान निभायी जा रही भूमिका ने उनके हौसले और सम्मान को बढ़ा दिया है.
हम बात कर रहे हैं भारतीय रेलवे के सिगनल और टेलीकाम विभाग में कार्य करने वाले उन रेलकर्मियों की जिनके परिवार का कोई न कोई सदस्य और रिस्तेदार कोरोना के खिलाफ चल रही शामिल है. ये लोग रेलकर्मियों का हौसला और सम्मान बढ़ा रहे. इस कड़ी में पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद मंडल में आरआरआई अहमदाबाद में एसएसई सिगनल के पद पर कार्यरत प्रवीण भाई पटेल जहां रेलवे में अपनी सेवा दे रहे हैं वहीं उनका पुत्र डॉ रौनक प्रवीण भाई पटेल कोरोना पीड़ितों के बीच जीवन की उस विश्वास को जगाने में सफल रहे है जिससे कई मरीज स्वस्थ्य होकर घर लौट सके. डॉ रौनक सिविल अस्पताल अहमदाबाद में रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में सेवा दे रहे हैं. पिछले कई दिनों से घर-परिवार से दूर रहकर डॉ रौनक पीड़ितों की सेवा में लगे हैं. इसी अस्पताल में रेलवे के कई कर्मचारी तथा उनके परिवार के सदस्य कोरोना संक्रमित होकर इलाजरत है जिनके लिए वह मशीहा से कम नहीं. डॉ रौनक अपने ड्यूटी के साथ ही निजी स्तर पर भी रेल कर्मचारियों को सहायता कर उनमें विश्वास जगा रहे. उनके व्यक्तिगत प्रयासों का फल है कि कई रेल कर्मचारी स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं.
लोगों कोरोना से संक्रमित किसी मरीज को घबराने की आवश्यकता नहीं है और ना ही उनके रिश्तेदारों को घबराना चाहिए. अपने मनोबल से अपने अंदर की इम्यूनिटी को बढ़ा कर आप आसानी से कोरोना पर विजय पा सकते हैं. ऐसे कई लोग ठीक हो कर अपने घर लौट रहे हैं. डॉ रौनक
वहीं आरआरआई अहमदाबाद में ही टेक्नीशियन सिगनल के पद पर कार्यरत संतोष कुमार की पत्नी कविता भी इसी सिविल अस्पताल अहमदाबाद में नर्सिंग स्टाफ हैं. वह लगातार कोरोना संक्रमितों की सेवा में जुटी हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी एक ढाई साल की छोटी सी बेटी है. पत्नी की अस्पताल में व्यवस्था और संक्रमण की आशंका को लेकर दिये गये दिशानिर्देश के तहत खुद संतोष कुमार बेटी का ध्यान रख रहे. संतोष कुमार ने रेलहंट को बताया कि आज इस कठिन समय में नर्सिंग स्टाफ की जवाबदारी कहीं अधिक है और कविता इसे पूरी लगन और जोश से निभा रहीं हैं. उन्होंने खुद को करीब दो महीने से घर से अलग कर रखा है और अपनी सेवाओं के साथ- साथ अपने परिवार की सुरक्षा का भी ध्यान रखा है. रेलवे के सिग्नल व टेलीकम्युनिकेशन से जुड़े इन कर्मचारियों के परिवार के लोगों की कोरोना में सहयोग और समर्पण भाव के लिए इंडियन रेलवे एसएडंटी मैंटेनरर्स यूनियन के पदाधिकारियों व सहयोगियों ने दोनों कोरोना योद्धाओं का तहेदिल से आभार जताया है.
हमें कोरोना से घबराने के बजाय इसके साथ जीने की आदत डालनी चाहिए और खुद को हाइजिनिक बना कर रहें. यदि कोई भी कर्मचारी ड्यूटी पर जाते हैं तो घर में प्रवेश से पहले खुद को अच्छे से स्नान कर अपने कपड़ों को अच्छी तरह से डिटर्जेंट में धो देना चाहिए. कविता
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