पोप फ्रांसिस ने शनिवार 19 मार्च 2022 को वेटिकन के संविधान में बड़े बदलावों का एलान किया है. नए संविधान के तहत बपतिस्मा (एक ईसाई संस्कार) करा चुका कोई भी कैथोलिक, चाहे वह महिला हो या पुरुष, वेटिकन के केंद्रीय प्रशासन के ज्यादातर विभागों का नेतृत्व कर सकेगा. सैकड़ों वर्षों से इन विभागों का नेतृत्व अब तक पुरुष ही कर रहे थे, जो सामान्य तौर पर कार्डिनल या बिशप होते थे.
प्रैडिकेट इवांग्लियम (प्राक्लेमिंग द गास्पेल) नामक 54 पन्नों के संविधान को तैयार करने में नौ वर्षो से ज्यादा समय लगा. पोप फ्रांसिस के पद संभालने की नौवीं वर्षगांठ जारी पर इसे जारी किया गया है. पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2013 में पद संभाला था. नया संविधान पांच जून से प्रभावी होगा और यह पोप जान पाल द्वितीय की तरफ से वर्ष 1988 में जारी पादरी बोनस की जगह लेगा.
नए कानून की प्रस्तावना के अनुसार, ‘पोप, बिशप व अन्य धार्मिक पदाधिकारी ही सिर्फ चर्च के प्रचारक नहीं है. आम पुरुष व महिलाओं को भी सरकार में भूमिका और कुरिया (रोमन सीनेट भवन) में जिम्मेदारी मिलनी चाहिए.’ संविधान के सिद्धांत खंड के अनुसार, ‘मत में विश्वास रखने वाला कोई भी सदस्य डाइकैस्ट्री (कुरिया के विभाग या पंचायती व्यवस्था) या संगठन का नेतृत्व कर सकता है, बशर्ते पोप यह निर्णय लें कि वह योग्य है और उसकी नियुक्ति हो सकती है.’
1988 के संविधान के अनुसार, कुछ को छोड़कर सभी विभागों का नेतृत्व कार्डिनल या बिशप करते हैं और सचिव, विशेषज्ञ व प्रशासक उनकी मदद करते हैं. नया संविधान आम पुरुष व महिला में अंतर नहीं करता, लेकिन उनकी नियुक्ति विशेष योग्यता और विभागों के संचालन की उनकी शक्ति पर निर्भर करेगा. विभागों को अपना संविधान तैयार करने की छूट भी होगी.
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