सुनो!
सूखी तप्त मिट्टी में जब
पहली बारिश की बौछार पड़ेगी ना
सौंधी सी महक से
महक उठेगी मिट्टी •••
आँखें बंद कर
लंबी सांस खींचना
और
महसूस करना
मिट्टी के सौंधेपन को
यह तुम्हारे हिस्से का प्रेम है •••
हाँ! हो सके तो
कुछ खाब बुनना
भीगना पहली बारिश में
नया रंग भर देना उन बूंदों में
लाल, नारंगी, जामुनी और
एक पक्का रंग विश्वास का
छोड़ आना दर्द के काफिले को
ले जाना साथ
अपने हिस्से की सुकूं और
अपने हिस्से की नमी को भी
और जीवित रखना
संभावनाओं को •••
-अपर्णा विश्वनाथ, रायपुर