नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने इंडियन रेलवे स्टैंडर्ड जनरल कंडीशन ऑफ कांट्रैक्ट की पुरानी गाइडलाइन में संशोधन करते हुए ठेकेदारों के पार्टनरशिप बदलने पर रोक लगा दी है. जीसीसी की नई गाइडलाइंस में कार्य के बीच में पार्टनर बदल लेने वाले ठेकेदार पर लगाम कसी गयी है. अब पार्टनरशिप डीड बदल कर किसी और की क्रेडेंशियल्स पर ठेकेदार टेंडर नहीं डाल सकेंगे.
पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस मामले में वेवपोर्टल रेल समाचार पर किये गये खुलासे पर संज्ञान लेकर उपरोक्त संशोधन के आदेश दिये थे. रेलमंत्री ने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट किया था कि रेल निर्माण कार्यों में लगी निजी फर्मों को कागजों/दस्तावेजों की खरीद-फरोख्त की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती है यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी है.
बताया जाता है कि देश के विभिन्न जोनल रेलवे में बड़ी संख्या में ठेकेदार कार्य के दौरान अपने पार्टनर बदलने की कार्रवाई को अंजाम देते थे. अभियंताओं की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया जाता था. यहां तक की कई अभियंता व अधिकारी ठेकेदारों अथवा कंस्ट्रक्शन फर्मों के साथ मिलकर अपनी अवैध कमाई का निवेश भी करते रहे हैं.
ऐसे में अपने सगे-संबंधियों ठेका फॉर्म के साथ बतौर स्लीपिंग या ओपन पार्टनर जोड़कर उनके क्रेडेंशियल भी बनाये गये. यह क्रम आज भी जारी है और बड़ी संख्या में अलग-अलग जोनल रेलवे में भ्रष्ट रेल अधिकारियों द्वारा इसे बखूबी से अंजाम भी दिया जा रहा है.
रेलवे की नयी गाइडलाइन के दायरे में कई कांट्रैक्ट फर्म आयेंगे जो अब तक केवल अपना क्रेडेंशियल बेचकर बिना कुछ किये और बिना किसी निवेश और जिम्मेदारी के ही मोटा लाभ अर्जित कर रही थीं. रेलवे बोर्ड के नये आदेश से कई ठेकेदारों की नींद उड़ चुकी है.
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