- कबाड़ बेचकर कमाई करने वालें में उत्तर रेलवे देश में पहले स्थान पर पहुंचा
Indian Railways earns from scrap. उत्तर रेलवे (Northern Railway) ने बीते वित्तीय वर्ष में कबाड़ बेचकर इतनी कमाई कर ली है कि उससे पांच वंदे भारत (Vande Bharat Trains) ट्रेने आ सकती हैं. महाप्रबंधक शोभन चौधरी ने मीडिया को दिये बयान में बताया कि स्क्रैप बिक्री में इस साल उत्तर रेलवे ने नया रिकॉर्ड बनाया है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 514.06 करोड़ रुपये कबाड़ से कमाए हैं. सालाना बिक्री का लक्ष्य 500 करोड़ रुपये ही था. इस प्रकार उत्तर रेलवे कबाड़ बेचकर की गयी कमाई में पहले स्थान पर है.
रेलवे टिकट और माल ढुलाई से अपनी कमाई करता है. हालांकि कमाई का मुख्य स्रोत माल ढुलाई ही है. पैसेंजर ट्रेनों में एसी थर्ड और एसी चेयरकार से ही रेलवे को भरपूर कमाई होती है. अब रेलवे अपने हर संसाधन से कमाई उगाही का प्रयास कर रहा है. इसमें स्क्रैप का भी अहम स्थान है. बीते सालों में सभी रेलवे जोन ने अपनी कमाई में स्क्रैप की बिक्री को शामिल कर लिया है.
उत्तर रेलवे ने इस बार कबाड़ बेचकर लक्ष्य से अधिक कमाई की है. कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कबाड़ से मिलने वाले रुपयों से पांच वंदेभारत एक्सप्रेस ट्रेनों बनायी जा सकती है. मालूम हो कि एक वंदे भारत के रैक पर 108 करोड़ का खर्च आता है.
स्क्रैप से मिलने वाले राजस्व से रेलवे स्टेशन परिसरों को साफ-सुथरा बनाए रखने में खर्च करता है. कबाड़ में रेल पटरियों के टुकड़े, स्लीपर, टाई बार को इकट्ठा कर बेचा जाता है. इसके अलावा स्टाफ क्वाटरों, केबिनों, शैडो, वाटर टैंकों से निकला कबाड़ भी शामिल हैं. हालांकि रेलवे के स्क्रैप का अधिकांश हिस्सा पहले चोरी हो जाता था. यह क्रम अब भी जारी है लेकिन इस पर बहुत हद तक रोक लगायी जा सकी है.
सभी रेलवे जोन बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए स्क्रैप पीएसी स्लीपरों का निपटान भी कर रहे ताकि राजस्व अर्जित करने के साथ साथ बहुमूल्य भूमि को रेल गतिविधियों के लिए खाली रखा जा सके.