- राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद देश के हर कोने से अयोध्या को जोड़ने की योजना
NEW DELHI : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को स्पष्ट संकेत दिया कि रेलवे वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें फिलहाल बहाल नहीं करने जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले साल यात्री सेवाओं पर 59,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी. उन्होंने कहा कि पेंशन और वेतन का बड़ा दबाव है. रेलमंत्री लोकसभा में महाराष्ट्र से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा व सांसद सुरेश धानोरकर द्वारा ट्रेन यात्रा में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायत बहाल किये जाने के सवाल का जबाव दे रहे थे. रेल मंत्री ने कहा कि आज भी हर रेल यात्री को 55 फीसदी रियायत दी जा रही है.
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव
उन्होंने बताया कि अगर किसी यात्री को ले जाने का रेलवे का खर्चा 1.16 रुपये है तो रेलवे यात्रियों से सिर्फ 40-48 पैसे वसूल करता है. पिछले साल ही यात्री सेवा पर करीब 59 हजार करोड़ की सब्सिडी दी गई थी. इसके अलावा यात्रियों के लिए नई तरह की सुविधाएं और नई तरह की ट्रेनें आ रही हैं. रियायत पर आगे फैसला लिया जाएगा, लेकिन अब रेलवे की हालत भी देखनी चाहिए.
COVID महामारी के बाद से रेलवे ने सीनियर सिटीजन को दी जाने वाली रियायत को बंद कर दिया गया था. Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार रेलमंत्री ने दोहराया है कि यात्री सेवाओं पर दी जा रही 59,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी कुछ राज्यों के वार्षिक बजट से भी अधिक है. उन्होंने बताया कि रेलवे का वार्षिक पेंशन बिल 60,000 करोड़ रुपये है जबकि वेतन का बोझ 97,000 करोड़ रुपये का है. रेलवे ईंधन पर 40,000 करोड़ रुपये खर्च करती है. उन्होंने कहा कि नई सुविधाएं आ रही हैं. अगर नए फैसले लेने हैं, तो हम लेंगे लेकिन अभी रेलवे की स्थिति पर सभी को गौर करना चाहिए.
एक अन्य सवाल के जवाब में वैष्णव ने कहा कि वर्तमान में वंदे भारत ट्रेनें 500 से 550 किमी की अधिकतम दूरी के साथ बैठने की क्षमता के साथ चल रही हैं और एक बार सोने की सुविधा वाली वंदे भारत ट्रेनें चलेंगी, ट्रेनें लंबी दूरी तय करेंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद देश के कोने-कोने से अयोध्या को ट्रेनों से जोड़ने की योजना है. मंत्री ने कहा कि 41 प्रमुख रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास चल रहा है जबकि बाकी स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रेलवे ने 2030 तक पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होने का लक्ष्य रखा है और इस पर काम चल रहा है, जिसमें भारतीय इंजीनियरों द्वारा डिजाइन, विकसित और बनाई जाने वाली हाइड्रोजन ट्रेनों का विकास शामिल है.
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