गोरखपुर. पूर्वोत्तर रेलवे के प्रिंसिपल सीसीएम आलोक कुमार ने बोतल बंद पानी की आपूर्ति के लिए चार फार्मों को पूर्व में लाइसेंस को अचानक रद्द कर दिया है. पूर्व पीसीसीएम ने पांच फर्मों को बोतल बंद पानी की आपूर्ति के लिए 8 फरवरी 2019 को ही अनुमति दी थी. जिसे प्रभार लेने के कुछ दिन बाद ही आलोक कुमार ने रद्द कर दिया. बताया जाता है कि इस कार्रवाई से पूर्व पीसीसीएम ने पांचो फर्मों के प्रतिनिधियों से बात की. इसके बाद चार का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी कर दिया गया. गर्मी के दिन शुरू होन से पूर्व की गयी इस कार्रवाई के अलग-अलग निहितार्थ लगाये जाने लगे है. गर्मी में ही बोतल बंद पानी की डिमांड अधिक होती है क्येांकि इस समय रेलवे की रेलनीर की आपूर्ति आपेक्षित नहीं हो पाती. पूर्व पीसीसीएम ने सभी पांचो फर्मों को तीन-तीन साल के लिए लाइसेंस दे दिया था. हालांकि ऐसी अनुमति एक या दो साल के लिए ही दी जाती है और बाद में उसका विस्तार किये जाने की परंपरा रही है. लाइसेंस के मद में पूर्व पीसीसीएम ने जीएसटी सहित करीब 2.36 लाख रुपये की ‘नॉन-रिफंडेबल’ सिक्यूरिटी डिपाजिट भी हर फर्म से जमा करायी थी. इधर पूर्व पीसीसीएम के 8 फरवरी 2019 के आदेश को 18 मार्च 2019 को वर्तमान पीसीसीएम ने निरस्त कर दिया. लाइसेंस रद्द करने के लिए कोई ठोस वजह तो नहीं बतायी गयी है अल्बत्ता ‘अपरिहार्य कारणों से’ लिखा गया है.
निरस्त की गई फर्मों में मेसर्स इरा फ्लोर मिल्स प्रा. लि., गोंडा (ब्रांड – यू. पी. लाइफ), मेसर्स बोहरा सेल्स एंड ट्रेडिंग, लखनऊ (ब्रांड – किंग रॉयल), मेसर्स पान पराग इंडिया लि. कानपुर (ब्रांड – यस) और मेसर्स सुरभि एग्रीको प्रा. लि. वाराणसी (ब्रांड – बेली) शामिल हैं. पीसीसीएम कार्यालय से चार फार्मों का लाइसेंस निरस्त करने का पत्र मिलते ही लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल ने कार्रवाई का आदेश जारी कर स्टेशनों पर उक्त चारों ब्रांड के पानी की आपूर्ति बंद करा दी है.
भीषण गर्मी में जब पानी की सबसे अधिक मांग होती है, ऐसे समय में पानी की आपूर्ति को निरस्त कर दिया जाना कई संकेत दे जाता है. निजी फर्मों द्वारा बोतल बंद पीने का पानी 4 रुपये से 8 रुपये तक आपूर्ति की जाती है. जिसे प्लेटफार्मों पर स्थित खानपान इकाईयों (स्टालों) और चलती गाड़ियों की पैंट्रीकारों को सीधे उपलब्ध कराया जाता है. चूंकि आईआरसीटीसी द्वारा ‘रेलनीर’ की आपूर्ति लगभग 10.50 रुपये से 11 रुपये प्रति बोतल के हिसाब से स्टालों और पैंट्रीकारों को की जाती है, अतः रेलनीर बेचने में स्टाल संचालकों को काम फायदा होता है. निजी फर्मों द्वारा आपूर्ति पर संचालक प्रति बोतल डेढ़ गुना से भी ज्यादा मुनाफा कमा लेते है. उसमें अवैध रूप से 15 रुपये का पानी धड़ल्ले से 20 रुपये में बेचा जाता है.
इनपुर : रेलवे समाचार