- उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ (UMRKS) इस मुद्दे को बार-बार उठा रहा था, बड़ी उपलब्धि का दावा
- कर्मचारी के कटौती रोकने के आवेदन पर रेल प्रशासन यूनियन से एक निश्चित समय में मांगेगा जबाव
PRAYAGRAJ : यूनियन की अघोषित व बाध्य चंदा वसलूी पर रोक की पहल उत्तर मध्य रेलवे (NCR) में की गयी है. करीब 8 साल से मान्यता प्राप्त यूनियनों की सदस्यता शुल्क के रूप में 400 रुपये की अनिवार्य वार्षिक वसूली की बाध्यता को इस बार खत्म कर दिया गया है. अब रेलकर्मियों को यह विकल्प दिया गया है कि वह जिस यूनियन को चाहेगा उसके लिए ही उसके वेतन से सदस्यता शुल्क की कटौती की जायेगी. अगर वह नहीं चाहेगा तो रेलवे प्रशासन जबरन की जाने वाली कटौती को कर्मचारी का आवेदन पाने ही रोक देगा.
इसके लिए मान्यता प्राप्त यूनियनों के महामंत्रियों की सहमति की अवश्यकता नहीं होगी. रेल प्रशासन के स्तर पर नये फैसले को लागू करने में उत्तर मध्य रेलवे की मान्यता प्राप्त एनसीआरएमयू और एनसीआरईएस के महामंत्रियों की की भी सहमति बतायी जा रही है. उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ(UMRKS) इसे बड़ी जीत करार दिया है. दरअसल संघ की तरफ से पिछले कई वर्षों से जबरन चंदा वसूली के खिलाफ अभियान चलाकर रेल प्रशासन के हर स्तर पर विरोध दर्ज करा रहा था.
उत्तर मध्य रेलवे के सहायक कार्मिक अधिकारी लवकुश सिंह रावत ने 18 जनवरी को पत्र जारी कर 13 जनवरी को मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव और एसीआरईएस के महामंत्री आरपी सिंह के साथ हुई बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी दी है. इसमें बताया है कि सभी कर्मचारियों से यह विकल्प पत्र लिया जाए कि वह सदस्यता शुल्क कटवाना चाहते हैं या नहीं. यह विकल्प पत्र प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर से 31 जनवरी के मध्य में देना होगा. यह कर्मचारियों की मर्जी पर निर्भर होगा कि वह सदस्यता शुल्क की कटौती रोकने के लिए यूनियन के महामंत्रियों के पास आवेदन करें या रेलवे प्रशासन को भी वह विकल्प फार्म भरकर दे सकते हैं.
रेलवे प्रशासन कर्मचारियों के विकल्प पत्र को मान्यता प्राप्त यूनियन को देगा. मानता प्राप्त यूनियन के महामंत्रियों को 1 अप्रैल तक इसका जवाब देना होगा. यदि यूनियन से जवाब नहीं आएगा तो रेलवे प्रशासन विकल्प देने वाले कर्मचारी के वेतन से स्वत: होने वाली कटौती को रोक देगा. कार्मिक विभाग की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में एनसीआरईएस के सदस्यता शुल्क की कटौती मार्च-अप्रैल और एनसीआरएमयू के लिए सदस्यता शुल्क की कटौती मई-जून में की जाती है.
अब, 31 जनवरी को सदस्यता शुल्क की कटौती को बंद करने या रोकने का विकल्प पत्र भरने को अंतिम तिथि तय किया गया है. इसलिए एनसीआरईएस की सदस्यता शुल्क की कटौती अप्रैल-मई और मेंस यूनियन की सदस्यता शुल्क की कटौती जून-जुलाई के महीने में की जाएगी. उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ(UMRKS) के महामंत्री हेमंत कुमार विश्वकर्मा ने 08 जनवरी 2023 को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सदस्यता शुल्क की वसूली के रेलवे प्रशासन और मान्यता प्राप्त यूनियनों के बीच सांठ-गांठ है. गलत तरीके से सदस्यता दिखाकर कर्मचारियों के वेतन से 400-400 रुपए की कटौती की जा रही है. मान्यता प्राप्त यूनियनों को रेलवे प्रशासन एक-एक करोड़ रुपए वसूल कर दे रहा है. भले ही कर्मचारी ने इसके लिए अपनी सहमति दी हो या नहीं. इसमें व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया, लेकिन रेलवे प्रशासन ने कभी भी सदस्यता की जांच नहीं कराई.
वर्ष 2016 में दोनों कर्मचारी संगठनों की सहमति से यह व्यवस्था की गई थी कि सदस्यता फार्म जमा होने के बाद कर्मचारियों के वेतन से रेलवे प्रशासन सदस्यता शुल्क की कटौती कर लेगा और मान्यता प्राप्त यूनियन के खाते में जमा कर देगा. यदि किसी कर्मचारी को सदस्यता शुल्क बंद करने या रोकने की इच्छा हो तो वह यूनियन के महामंत्रियों से इसके लिए सहमति पत्र जारी करवाए. आरोप है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी यह शुल्क देना बंद करना चाहते हैं लेकिन यूनियनों के पदाधिकारी सहमति नहीं देते. इस कारण बिना कर्मचारी की मर्जी उनके खाते से कटौती कर ली जाती है. बड़ी संख्या में ऐसे भी कर्मचारी सामने आए हैं जिनके वेतन से दोनों कर्मचारी यूनियनों के सदस्यता शुल्क की कटौती की जा रही है.
उत्तर मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के चंद्रकांत चतुर्वेदीजी, रूपम पाण्डेय, हेमंत विश्वकर्मा, राजाराम मीना, कुंदन सिंह, हरि बल्लभ दीक्षित, बंशी बदन झा, शतानंद एवं शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने रेलवे प्रशासन के इस फैसले को कर्मचारियों की जीत बताया है. कहा कि इससे कर्मचारियों का आर्थिक उत्पीड़न खत्म होगा.
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