- भामसं के स्थापना दिवस पर बोले नेता
खड़गपुर. देश के सबसे बड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ का स्थापना दिवस 23 जुलाई को सम्पूर्ण देश में मनाया गया. इस अवसर पर भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने एक वेबिनार का आयोजन किया था. इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से भारतीय रेलवे मजदूर संघ के अंतर्गत आने वाले रेलवे के सभी जोनों के संगठनों के कर्मचारीगण हजारों की संख्या में जूम एप और फेसबुक लाइव के माध्यम से वेबिनार कार्यक्रम से जुड़े . भारतीय मजदूर संघ की स्थापना 23 जुलाई,1955 को हुआ था.
23 जुलाई को ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दो वीर सपूतों बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था. इन दो हुतात्मा के जन्म दिवस को ध्यान में रखते हुए स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने एक पूर्ण गैर राजनीतिक संगठन की स्थापना की, जिसका मूल उदेश्य मजदूरों की हितों की रक्षा के साथ साथ देश की हितों की भी चिंता करना. उनकी टैग लाइन ही है, राष्ट्र हित, उद्योग हित, मजदूर हित.
भारत के अन्य ट्रेड यूनियनों में राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोग ऊंचें पदों पर विराजमान है जबकि भारतीय मजदूर संघ विशुद्ध गैर राजनीतिक संगठन है. उनके गीतों में भी भारतीय मजदूर संघ का उदेश्य झलकता है– बीएमएस की क्या पहचान- त्याग, तपस्या और बलिदान. इसी उदेश्य को लेकर भारतीय मजदूर संघ पिछले 66 वर्षों से लगातार देश हित और मजदूर हित में कार्य कर रहा है. उनके इस उदेश्य को लेकर ही भारतीय रेलवे मजदूर संघ और दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ लगातार राष्ट्र हित, उद्योग हित और मजदूर हित में अपना कार्य कर रहे हैं.
इस खास अवसर पर दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ की खड़गपुर कारखाना व ओपन लाइन की इकाइयों द्वारा बीएमएस का झंडा फहराया गया और कर्मचारियों के बीच लड्डू बांटा गया. इस अवसर पर जोनल अध्यक्ष प्रहलाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष दिलीप कुमार पाल, डिवीजनल समन्वयक हरिहर राव, कारखाना सचिव पी. के. कुंडु, कारखाना सह-सचिव मनीष चंद्र झा, कारखाना सह-सचिव जयंत कुमार, पी. के. पात्रो, कौशिक सरकार, ओम प्रकाश यादव उपस्थित थे. साथ ही साथ यूनियन के अन्य पदाधिकारीगण रत्नाकर साहू, मुकुन्द राव, के. कृष्णामूर्ति, संतोष सिंह, ललित कुमार, श्यामंत, मनोज कुमार यादव, जलज कुमार गुप्ता, उमाशंकर प्रसाद, शंभू शरण सिंह व अन्य मौजूद रहे. इस अवसर दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारियों और कार्यकर्तोओं द्वारा बीएमएस के मूलमंत्रों- त्याग, तपस्या और बलिदान को चरितार्थ करने का प्रण लिया गया.