- ट्रैक मेंटेनरों का कार्यालयों व अफसरों के आवासों में दुरुपयोग बनी बड़ी चिंता
- 20-20 साल से कार्यालय में काम कर हार्डशिप अलाउसं उठा रहे ट्रैक मेंटेनर
KOLKATA. चक्रधरपुर रेलमंडल में हुए हावड़ा-मुंबई मेल हादसे में सीआरएस की जांच पूरी हो चुकी है. हालांकि अभी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आयी है लेकिन यह माना जा रहा है कि रेलवे बोर्ड स्तर पर लापरवाही के लिए बड़े स्तर सख्त कदम उठाये जा सकते हैं. इसमें आला अधिकारियों पर गाज गिरने की भी आशंका जतायी जाने लगी है, जिसमें ट्रैक से जुड़े अधिकारी सीनियर डीईएन, डीईएन ईस्ट से लेकर परिचालन, सेफ्टी से जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों की जबावदेही तय की जा सकती है.
चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम आदित्य कुमार चौधरी ने शनिवार को पत्रकारों के सामने दुर्घटना के बाद की जांच का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि सीआरएस जांच में मुंबई मेल हादसे से जुड़े तमाम रेल कर्मियों से पूछताछ की गयी है. इसमें अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक शामिल है. जांच की प्रक्रिया में तकनीकी बिंदुओं को भी देखा गया है. अब जांच रिपोर्ट जल्द सामने आ सकती है. उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि जांच में अब तक क्या निकलकर सामने आया है?
हालांकि सीआरएस जांच पूरी होने के बाद से ही घटना से जुड़े रेलकर्मियों से लेकर अधिकारियों को अनजाना डर सताने लगा है. बालासोर हादसे के बाद हटाये गये खड़गपुर मंडल के सीनियर डीसीएम रहे राजेश कुमार वर्तमान में चक्रधरपुर मंडल में सीनियर डीएसओ हैं. जांच में यह बात सामने आयी है कि 30 जुलाई को प्वाइंट से डिरेल्ट होकर मालगाड़ी के बड़ाबांबो स्टेशन के समीप सीमेंट स्लीपर पर 300 मीटर से अधिक दूर कर बेपटरी हो गयी थी. यहीं डिरेल्ड मालगाड़ी से हावड़ा-मुंबई मेल टकरा गयी.
इस दुर्घटन में पूरी ट्रेन ही पटरी से उतर गयी. यह संयोग रहा कि गार्डवॉल से टकराकर बोगियां नहीं उलटी वरना बड़ा बालासोर की तरह यहां भी बड़ा हादसा हो सकता था. हालांकि हादसे में दो यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि कई यात्री घायल हुए थे. अब सीआरएस की जांच में दुर्घटना के कारणों का देखा गया है. इसमें कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी है. अब रेलकर्मियों की निगाहे जोन मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड के कदम पर टिकी हैं.
यह माना जा रहा है कि अगर रेलवे बोर्ड ने इस मामले में सख्ती दिखायी तो बालासोर हादसे की तरह यहां भी जिम्मेदारी कर्मचारियों के साथ ही डीआरएम से लेकर दूसरे ब्रांच अधिकारी भी कार्रवाई के लपेटे में आ सकते हैं. रेलमंडल में ट्रैक मेंटेनर का दुरुपयोग कार्यालयों व अफसरों के आवासों में किया जा रहा है उससे पटरी की जांच व निगरानी प्रभावित हुई है. यह रेल दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनकर सामने आया है. यह जांच का विषय है कि ट्रैक पर कार्य करने की जगह बड़ी संख्या में ट्रैक मेंटेनर अफसरों से जोड़तोड़ कर 20-20 साल से कार्यालय में जमें है और ये लोग आपसी मिलीभगत से हार्डशिप अलाउंस उठाकर रेलवे के राजस्व को भी चूना लगा रहे हैं.