नई दिल्ली. कोरोना के संक्रमण के बीच स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लोग अपनी व्यथा व आक्रोश का इजहार सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. किसी को आस है सहयोग की तो कोई अपना भड़ास निकाल रहा है. इन सबके बीच एक रेलकर्मी बीएन मीना ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी व्यथा का इजहार किया है. मीना #IRSTMU के पदाधिकारी भी हैं, उनका इजहार व्यथित कर देने वाला है.
ऐसे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा ने चार दिन पहले मीडिया को दिये गये बयान की याद हो आयी जिसमें उन्होंने कहा था कि ”हम अपने स्टाफ का ध्यान रखते हैं. हमारे पास अपने अस्पताल हैं. हमने उनमें ऑक्सीजन प्लांट बनाए हैं. हमारे पास अपने स्टाफ व उनके परिवार के लिए चार हजार बेड हैं. हमारी कोशिश रहती है कि वह जल्दी ठीक हों”
रेलकर्मी बीएन मीना की पीड़ा व उनके द्वारा उठाये गये सवाल, उनके ही शब्दों में
”क्या एक रेल कर्मचारी होना गुनाह है, इसका जीता जागता उदाहरण मुरादाबाद डिवीजन में H.K Vidyarthi. सीनियर सेक्शन इंजीनियर सिग्नल – ROSA स्टेशन पर कार्यरत थे. वह कोविड-19 के शिकार हैं उनकी जान बचाने के लिए संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों द्वारा एक मुहिम चलाकर अपने सीनियर सेक्शन इंजीनियर की जान बचाने के लिए सहायता राशि एकत्रित की जा रही है.
क्या रेल कर्मचारी को रेलवे विभाग द्वारा कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिलेगी? क्या उसका इलाज नहीं कराने में असमर्थ है रेल? क्या इस प्रकार मुरादाबाद डिवीजन में कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सुविधा नहीं है? क्या कर्मचारी कल्याण हित में मंडल के पास कोई राशि नहीं है? इस तरह से रेल कर्मचारी किस-किस की जान बताएंगे रोजना पूरे भारतीय रेल में इस तरह सैकड़ों केसा रहे हैं क्या इस तरह ही मुहिम चलाकर अपने कर्मचारियों को बचाना पड़ेगा?
रेलवे को जबकि आज संकेत एवं दूरसंचार डिपार्टमेंट अपनी पूर्ण इमानदारी से 135 करोड़ जनता के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है क्योंकि जिस स्पीड से ऑक्सीजन ट्रेन, मालवाहक ट्रेन को जल्द से जल्द पहुंचाने का कार्य करता है वह सिर्फ और सिर्फ S&T डिपार्टमेंट है और उसी के कर्मचारियों का इतना शोषण है कि उनको एक सीनियर सेक्शन इंडिया की जान बचाने के लिए चंदा एकत्रित करना पड़े. यह दुर्भाग्य की बात है इस विषय में मंडल रेल प्रबंधक मुरादाबाद को संज्ञान लेना चाहिए एवं रेल मंत्री और सीआरवी महोदय को आगे आकर उस कर्मचारी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
यहीं नहीं सभी कर्मचारियों का इलाज के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. रेल मंत्रालय से अपील करना चाहते हैं कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग को नजदीक जाने और उनके साथ जो इसको महामारी में शोषण हो रहा है उस पर ध्यान दें और समस्त संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने के लिए एक अलग से घोषणा जारी की जाए क्योंकि यह फ्रंट लाइन पर कार्य करते हैं. क्या इस घटना पर रेल मंत्रालय कोई ठोस कदम उठा पाएगा? धन्यवाद.
(IRSTMU) इंडियन रेलवे एस.एण्ड टी मेंटेनेंस यूनियन मांग करता है कर्मचारियों में जो डर का भय व्याप्त हो गया है और जो फ्रंट वर्कर्स हैं संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों को जल्द से जल्द इलाज कराया जाए और रेल मंत्री जी और सीआरवी साहब से हम आशा करते हैं कि इस पर जरूर उचित फैसला लेंगे और कर्मचारी को बेहतर इलाज रेलवे प्रशासन करा पाए”. यह तो सिर्फ एक बानगी है, अब तक दर्जनों की संख्या में सिग्नल कर्मचारी व तकनीशियन कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं.
व्यवस्था पर सवाल, कभी चिकित्सा, शिक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया
एक अन्य रेलकर्मी के शब्दों में … Frankly speaking, it may be only one such case which has come to the notice , but over a period of long time Railways has rarely bothered to do something very proactive things for staff with respect to medical facilities, education and other basic needs and only concentrated on core business of being a National Transporter, barring few instances of good jobs done by a very few Zonal Railways. During this Pandemic, it has become all the more prominent and we hope that system changes, nor even higher officials may also suffer.You might be knowing that many talented officers alongwith staff had lost their lives.No more sycophancy but one needs to be more empathetic, rational and compassionate and someone at the highest level should do Something very reassuring things for upliftment of the moral of staff & officers. Hope for the best.
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