- नई भर्तियों के मेडिकल करने में हर कैंडिडेट से पांच हजार रुपये लेने का था आरोप
- उत्तर रेलवे विजिलेंस की छापेमारी में उजागर हुआ डॉक्टरों का कुकृत्य
नई दिल्ली. उत्तर रेलवे के अंतर्गत मुरादाबाद मंडल छह सीनियर डॉक्टरों पर आखिरकार गाज गिर ही गयी. रेलवे बोर्ड ने भ्रष्टाचार के आरोपी सभी छह डॉक्टरों को विभिन्न जोनों में तबादले का आदेश शुक्रवार, 17 मई को जारी कर दिया. इन डॉक्टरों पर नई भर्तियों के मेडिकल में प्रति कैंडिडेट पांच हजार रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. उत्तर रेलवे विजिलेंस की कार्रवाई में भ्रष्टाचार सामने आने के बाद रेलवे बोर्ड के स्तर पर यह कार्रवाई की गयी है.
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर/स्थापना एके सेन द्वारा जारी ऑर्डर नं. ई(ओ)3/-2019/टीआर/230, (43/05), 17.05.2019 में सीएमएस/मुरादाबाद डॉ. सीएस रावत (एसएजी/आईआरएमएस) को सीधे पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, गुवाहाटी भेजा गया है. इसी प्रकार एसीएमएस/मुरादाबाद डॉ. श्याम सुंदर (एसएजी/आईआरएमएस) को दक्षिण पूर्व रेलवे, कोलकाता, जबकि एसीएमएस डॉ. शकील अहमद (एसएजी/आईआरएमएस) को पश्चिम रेलवे, मुंबई और एसीएमएस डॉ. राजवीर सिंह (एसएजी/आईआरएमएस) को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, गुवाहाटी तथा एसीएमएस डॉ. भोला कुमार रजक (एसएजी/आईआरएमएस) को दक्षिण पूर्व रेलवे, कोलकाता भेजा गया है. इनके साथ ही मुरादाबाद की सीनियर डीएमओ डॉ. ऋचा मिश्रा को पश्चिम रेलवे, मुंबई से अटैच कर दिया गया है. सभी डॉक्टरों को फिलहाल जोनल कैडर पोस्टिंग दी गई है.
हालांकि डॉक्टरों की पोस्टिंग के पीछे रेलवे बोर्ड ने अपने आदेश में विभिन्न रेलवे जोन में डॉक्टरों की कमी का हवाला दिया है. हालांकि पर्दे के पीछे की बात यही है कि रिश्वतखोरी के आरोप में सभी को मुरादाबाद से चलता किया गया है. यह सिर्फ मुरादाबाद ही नहीं वरन पूरे भारतीय रेल में है जहां अधिकांश डॉक्टर नियुक्ति से लेकर आज तक जहां के तहां जमे हुए हैं, यह मेडिकल विभाग में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है.