कोई जरूरी नहीं कि हम तमाम चौकसी और सतर्कता विपदा एवं आपात स्थिति में ही बरतें, समय का तकाजा तो यही है कि हम बिल्कुल सामान्य परिस्थितियों में भी संभावित खतरों के लिए खुद को तैयार रखें और समय-समय पर स्वयं का मूल्यांकन करते रहें. न्यूनतम क्षति के अपने तय लक्ष्य के तहत भारतीय रेलवे निर्धारित समयावधि पर इस प्रकार के पूर्वाभ्यास करती रहती है, जिसे महकमे की भाषा में ‘मॉक ड्रील’कहा जाता है.
दक्षिण पूर्व रेलवे खड़गपुर मंडल अंतर्गत खड़गपुर के नीमपुरा रेल यार्ड में शुक्रवार को ऐसा ही रिहर्सल हुआ. जहां कृत्रिम तरीके से ट्रेन हादसे का वैसा ही परिदृश्य रचा गया था, जो ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण पलों में नजर आते हैं. जहां – तहां बिखरे मलबे और राहत व बचावकर्मियों की भागमभाग. खड़गपुर के मंडल रेल प्रबंधक मनोरंजन प्रधान की अगुवाई में चले इस अभियान में एनडीआरएफ के 68 और रेल महकमे के कुल 510 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया.
डीआरएम प्रधान ने कहा कि संभावित खतरों के प्रति खुद के मूल्यांकन को हम हर दो साल पर ऐसे मॉक ड्रील करते हैं. इसे भरसक गुप्त रखने का प्रयास किया जाता है. हालांकि पिछले वर्ष कोरोना के चलते यह संभव नहीं हो पाया था. प्रधान ने कहा कि दुर्घटना सरीखी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति कल्पना से परे है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में उत्पन्न हालात के लिए खुद को तैयार रखना भी उतना ही आवश्यक है. आज की मॉक ड्रील इसी आईने में खुद को देखने की कोशिश रही.
New Delhi. The Railway Board has given an additional charge of Member (Infrastructure) to DG (HR) after the former superannuated on September 30, 2024....