बिलासपुर. 31 अगस्त को रिटायर होने के दिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीइइ/सी एचपी अग्रवाल को प्रबंधन ने रिटायरमेंट से मात्र कुछ घंटे पहले दोपहर करीब 1.30 बजे मेजर पेनाल्टी चार्जशीट थमा दी. इस कार्रवाई को अंजाम मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड के मार्गदर्शन और हस्ताक्षर से दिया गया.
मेंबर ट्रैक्शन (एमटीआर) द्वारा उसी दिन हस्ताक्षरित मेजर पेनाल्टी चार्जशीट (एसएफ-5) रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली से चलकर हाथोंहाथ बिलासपुर पहुंचाया गया. पहले फोन से सीएओ/सी को तमाम आवश्यक निर्देश दिए जा चुके थे. इनमें से एक निर्देश यह भी था कि सीइइ/सी श्री अग्रवाल कहीं गायब न हो जाएं, इसलिए उन्हें पहले से ही बुलाकर चैम्बर में बैठाए रखा जाए और जैसे ही चार्जशीट उनके पास पहुंचे, उसे तुरंत उन्हें थमाकर उनसे पावती (रिसीविंग) ले ली जाए. सूत्रों का कहना है कि ऐसा ही किया भी गया.
बताया गया है कि श्री अग्रवाल को उक्त एसएफ-5 चार्जशीट किसी टेंडर में हुए बड़े घोटाले के संदर्भ में दी गई है. इस मामले में द.पू.म.रे. निर्माण संगठन के अन्य कई विद्युत अधिकारी भी नप सकते है. अग्रवाल को सेवानिवृत्त से कुछ घंटे पहले चार्जशीट उन्हें पकड़ा दी गयी है. इस चलते श्री अग्रवाल के सभी सेवानिवृत्ति लाभ भी रोक दिए गए हैं. उन्हें सिर्फ उनका प्रोविडेंड फंड और तदर्थ पेंशन ही मिलेगी.
जानकारों का कहना है कि जब प्रशासन को पहले से संबंधित अधिकारी के रिटायरमेंट, जिसकी तैयारी 6-7 महीने पहले शुरू हो जाती है, की जानकारी होती है, तो उसे यह प्रक्रिया गरिमापूर्ण तरीका अपनाते हुए रिटायरमेंट से पर्याप्त समय पहले पूरी करनी चाहिए. इस तरह 30-35 साल की सेवा के अंतिम दिन किसी वरिष्ठ अधिकारी को उसके मातहतों और परिवार एवं समाज के सामने बेइज्जत करना कतई उचित नहीं माना जा सकता.