- वाराणसी में स्टेशन मास्टर और सिग्नल मेंटेनर के बीच मारपीट के मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी
- स्टेशन मास्टर ने सिग्नलकर्मी पर लगाया गया हमला करने का आरोप, दर्ज करायी प्राथमिकी
- IRSTMU ने स्टेशन मास्टर पर लगाये गंभीर आरोप, जांच की प्रक्रिया पर भी जतायी आपत्ति
LUCKNOW. उत्तर रेलवे के ब्लॉक हट बी के स्टेशन मास्टर सिग्नल मेंटेनर के बीच हुए विवाद ने डिवीजन, जोन से लेकर रेलवे बोर्ड तक हलचल मचा दी है. दो रेलकर्मियों के बीच विवाद में वंदेभारत समेत कई ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ जिसमें हजारों यात्री परेशान रहे. उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के तीन सीनियर अफसरों की टीम ने मामले की जांच कर रही है. जांच टीम अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है. टीम में शामिल दो अधिकारियों का मत है कि सिग्नल मेंटेनर अनुशासनहीनता और मारपीट के लिए जिम्मेदार है जबकि तीसरे अधिकारी ने ‘ऑडियो वॉयस रिकॉर्डिंग’ सुनने के बाद निर्णय लेने की बात कही है.
यह विवाद 28 मई 2024 की शाम साढ़े सात बजे का है. जांच में अब तक जो सामने आया है उसके अनुसार सिग्नल मेंटेनर शहजाद वरीय अधिकारी के आदेश पर रुटीन जांच के लिए ‘सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर’ का ‘रीसेट बॉक्स’ खोलना चाह रहे थे. इस पर स्टेशन मास्टर सरोज कुमार ने एतराज जताया और बात बहस से शुरू होकर हाथापाई पर पहुंच गयी. एडीआरएम के हस्तक्षेप के बावजूद जीआरपी काशी में स्टेशन मास्टर की ओर से प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है जबकि अब तक पुलिस ने सिग्नल मेंटेनर की शिकायत नहीं दर्ज की है.
स्टेशन मास्टर से जीआरपी को दिये बयान में शहजाद पर पत्थर से वार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने बयान में बताया है कि सिर पर लगी चोट से उन्हें चक्कर आया और वह बेहोश हो गए. इस कारण ही ऑपरेशन कार्य में बाधा आयी. स्टेशन मास्टर के समर्थन में स्टेशन मास्टर एसोसिएशन ने मोर्चा खोलते हुए सिग्नल के कर्मचारियों की गिरफ्तारी की मांग कर दी है. इस घटना के बाद वाराणसी और उसके आसपास के रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों का ऑपरेशन 40 मिनट से लेकर डेढ़ घंटे तक प्रभावित रहा था. मामले की जांच वाराणसी एईएन, एओएम व एएसटी सुल्तानपुर कर रहे हैं.
उधर, सिग्नल मेंटेनर के समर्थन में इंडियन रेलवे सिग्नल एंड मेंटनर्स एसोसिएशन IRSTMU भी उतर आया है. यूनियन के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने पूरे प्रकरण में रेल प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए इसे घोर लापरवाही करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि स्टेशन मास्टर ने गाड़ियों का परिचालन जानबूझकर बाधित किया है. स्टेशन मास्टर ने जानबूझकर कंट्रोल फोन पर गलत बयान देकर गाड़ियां को रोका और सिग्नल मेंटेनर पर झूठे आरोप लगाये. उन्होंने कहा कि हर दिन उत्पन्न होने वाले इस माहौल में सिग्नल एवं दूरसंचार के कर्मचारियों का काम करना दूभर हो चुका है पर रेल मंत्रालय अपनी नींद में सो रहा है. IRSTMU ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा है कि इस प्रकार की घटनाओं पर पूर्णतः विराम लगाया जाना चाहिए.
IRSTMU का तर्क
- सलीम शहजाद डीएसटीई के आदेशानुसार पैनल कक्ष में एक्सल काउंटर का नंबर और कंपनी का नाम लिखने के लिए गये थे
- स्टेशन मास्टर ने SI-4 के एक्सल काउंटर खोलने का झूठा आरोप लगाया है क्योंकि यह मेंटेनेंस और रिपेयर वर्क के लिए होता है
- S&T कर्मचारी व स्टेशन मास्टर के बीच अब विवाद आम हो गया है, लिहाजा सिग्नल कर्मी को मजबूरन पैनल कक्ष में जाना पड़ता है
IRSTMU की मांग
- पैनल कक्ष में CCTV कैमरा लगवाया जाय जिससे मारपीट होने पर कैमरा देखकर गलती की पुष्टि की जा सके
- सिग्नल एवं टेलीकॉम मेंटेनर का ग्रेड पे स्टेशन मास्टर के समकक्ष 4200 किया जाये ताकि दोनों समकक्ष रहे
- प्रशासन दोनों को पूरा करने में असक्षम है तो स्टेशन मास्टर लथा सिग्नल मैंटेनर कैडर को आपस में मर्ज कर दे
आखिर कब तक सहेंगे टकराव, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा : आलोक
इंडियन रेलवे सिग्नल एंड मेंटनर्स एसोसिएशन IRSTMU के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने कहा कि यह पहली घटना नहीं है और ना ही यह आखिरी वारदात होगी. हर रोज यही माहौल है. अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो समस्या और गंभीर रूप ले लेगी जो रेलवे संरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनकर सामने आयेगा. यूनियन (IRSTMU) इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और जरूरत पड़ी तो देश व्यापी विरोध-प्रदर्शन तक से वह पीछे नहीं हटेंगे.
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