- सीबीआई ने पकड़ा गोलमाल, 2006 और 2007 में की गयी थी फर्जी बिलिंग
Lucknow. लखनऊ में विशेष न्यायधीश सीबीआई विजेश कुमार ने रेलकर्मी पीके दत्ता को पांच साल की जेल और 55 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है. एनई रेलवे गोरखपुर के डिप्टी सीवीओ (स्टोर्स) राजीव कुमार ने उनके खिलाफ बिना कार्य कराये रेलवे के खाते से 20.71 लाख रुपए निकासी करने का आरोप लगाया था. इसकी जांच सीबीआई ने की थी.
मीडिया में आयी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 और 2007 में पीके दत्ता ग्रेड-1, डीआरएम (मैकेनिकल) वाराणसी में फिटर के पद पर तैनात था. इसका काम वाहनों की मरम्मत कराना और रखरखाव आदि देखना था. पीके दत्ता ने दो प्राइवेट कम्पनी विनटेक इंजीनियरिंग और न्यूटेक इंटर प्राइजेज के साथ मिलकर रेलवे से धोखाधड़ी की. वाहनों की रिपेयरिंग किए बिना ही फर्जी बिल बनाकर उस पर अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर करा लिया. इस तरह रेलवे को 20.71 लाख की चपत लगा दी.
बिलों में सात फर्जी ड्राइवरों के हस्ताक्षर भी कराये गये थे. सीबीआई की जांच में सारा सच सामने आ गया. प्राइवेट कंपनी की प्रोपराइटर बंदना गुहा कोर्ट तक नहीं पहुंची तो उसके विरुद्ध कुर्की का आदेश कोर्ट ने जारी था. सह अभियुक्ता सुधा सिंह को साक्ष्यों के अभाव मे कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया. सीबीआई के ओर से उपस्थित लोक अभियोजक आयुष सिंह ने 43 गवाहों सहित 242 दस्तावेज पेश कर यह साबित कर दिया कि पीके दत्ता ने बिना कोई काम कराये एजेंसी के साथ मिलकर रेलवे को 20.71 लाख का चूना लगाया है. बताया जाता है कि पीके दत्ता को इसी कोर्ट से पहले भी दो अन्य वाद में सजा मिल चुकी है.