- मालगाड़ी चालक को बिना किसी सावधानी आदेश के सभी खराब सिग्नल को पार करने का दिया गया था मेमो
KOLKATTA. कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे (Kanchenjunga train accident) में जान गंवाने वाले लोको पायलट अनिल कुमार को मुख्य सुरक्षा आयुक्त (CCRS) की रिपोर्ट ने क्लीन चिट दी है. इसके साथ ही पीड़ित परिवार को इंसाफ मिल गया है. रेलवे सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (CCRS) की रिपोर्ट ने कंचनजंगा ट्रेन के लोको पायलट को 17 जून को हुए हादसे के लिए दोषी नहीं पाया है. इस हादसे में 10 लोगों की मौत हुई थी और 43 घायल हुए थे. अनिल को क्लीन चिट मिलने के बाद उनकी पत्नी रोशनी कुमार ने कहा कि ट्रेन हादसे के कुछ ही घंटों के भीतर मेरे पति को दोषी ठहराया गया था. उनकी मौत का गम अभी मिटा भी नहीं था कि अनिल को जिम्मेदार ठहराए जाने की बात सुनकर हम सदमे में आ गए. हमें खुशी है कि रेलवे ने उचित जांच की और उन्हें निर्दोष पाया. अब उनकी आत्मा को शांति मिलेगी.
बता दें कि हादसे के दो घंटे के भीतर ही रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा और अन्य रेलवे अधिकारियों ने यह मान लिया था कि मृतक लोको पायलट और उनके घायल सहायक की गलती थी. हालांकि, CCRS की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मालगाड़ी के लोको पायलट को कंचनजंगा एक्सप्रेस की मौजूदगी के बावजूद उस सेक्शन पर जाने की अनुमति दी गई थी. उन्हें बिना किसी सावधानी आदेश के सभी खराब सिग्नल को पार करने का गलत मेमो दिया गया था.
78 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी मालगाड़ी
जांच में पाया गया कि मालगाड़ी 78 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल कर रही थी. तभी लोको पायलट ने कंचनजंगा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से को देखा और आपातकालीन ब्रेक लगाया. लेकिन ट्रेन कंचनजंगा से टकराने से पहले केवल 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक ही धीमी हो सकी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनिल ने 5 मिनट में 10 बार थ्रॉटल को एडजस्ट किया था, जो उनकी सतर्कता को दर्शाता है.
सहयोगी मानते कि वह कर सकते थे गलती
पड़ोसियों ने बताया कि वे हमेशा से मानते थे कि कुमार की गलती नहीं हो सकती, क्योंकि उनका करियर बेदाग था और वे अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे. एक पड़ोसी काजल दास ने कहा कि एक मृत व्यक्ति को दुर्घटना के लिए दोषी ठहराना अनुचित था. खासकर जब वह अपना बचाव करने में असमर्थ था. हमें राहत मिली है कि सच्चाई सामने आ गई है.
परिवार को मिलेगा 25 लाख का मुआवजा
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि अनिल कुमार के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. एनएफआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पेंशन आदेश भी जारी कर दिया गया है और ग्रेच्युटी का भुगतान जल्द ही कर दिया जाएगा. चूंकि उनके बेटे अभी नाबालिग हैं, इसलिए उनमें से एक को वयस्क होने पर रेलवे में नौकरी की पेशकश की जाएगी. यह घटना एक बार फिर रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक निर्दोष व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी और उसके परिवार को इतने कष्ट से गुजरना पड़ा.
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