- जमशेदपुर की विभिन्न बस्तियों में जरूरतमंदों तक पहुंचा रही राशन, अब तक एक हजार परिवारों की मदद
- सबुज बांग्ला की टीम के साथ सहयोग कर लोगों तक पहुंचायी जा रही मदद, लॉकडाउन तक चलेगा अभियान
रेलहंट ब्यूरो, जमशेदपुर
कोरोना संक्रमण के रूप में सामने आयी विपदा ने एक बार फिर से मानवीय संवेदनाओं को भी जगा दिया है. एक फोन कॉल पर मदद पहुंचाने के लिए विभिन्न दलों के नेता, स्वयंसेवी संगठन और व्यक्तिगत रूप से लोग सामने आ रहे हैं. देश भर में यही स्थिति है. सैकड़ों की संख्या में खाने-पीने की सामग्री के पैकेट बनाकर लोगों तक पहुंचाये जा रहे. इस कार्य में रेलकर्मी भी पीछे नहीं है. विभिन्न स्टेशनों, रेलवे कॉलोनियों में अभियान चलाकर आरपीएफ, जीआरपी व दूसरे विभागों के रेलकर्मी जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने में जुटे हैं.
इसी क्रम में जमशेदपुर में सबुज बांग्ला संस्था की अगुवाई करने वाली पूर्व रेलकर्मी की पुत्रवधू मौसमी दास भी लगातार लोगों की मदद करने में तन-मन-धन से जुटी हुई है. टाटानगर रेलवे कॉलोनी की बस्तियों के अलावा दूसरे क्षेत्र में लगातार सबुज बांग्ला संस्था जरूरतंद लोगों के बीच जरूरी सामग्री पहुंचा रही है. इसमें जहां एक ओर संक्रमण से बचने के लिए लोग घरों में दुबके पड़े है तो संस्था के सदस्य लगातार लोगों के बीच जाकर उनकी जरूरतों को समझ रहे और उन तक राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं.
सबुज बांग्ला की अगुवाई कर रही मौसमी दास स्कूल की शिक्षिका व पूर्व रेलकर्मी ट्रैक सुपरवाईजर सुब्रतो दास की पुत्रवधू है. सुब्रतो दास मनोहरपुर में रेलवे सेवा में थे जो वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुके है. उनके प्रोत्साहन और पति भास्कर दास के समर्थन से शिक्षिका मौसमी दास कोरोना के संक्रमण और लॉकडाउन में पूरेशान लोगों के बीच लगातार बनी रहकर सेवाभाव से उनकी जरूरतों को पूरा करने में जुटी हुई है. इसके लिए उन्होंने बकायदा लॉकडाउन के बाद से ही अभियान चला रखा है. इसमें टीम सबुज बांग्ला के सदस्य भास्कर दास, टिंकू कुमार, बुलु रानी, शुभम सिंह, आशा देवी, उमेश पासवान, ओमप्रकाश शर्मा, संजय कुमार, राजेश कुमार, अरुण कुमार सिन्हा आदि का साथ मिल रहा है. इस तरह हर दिन सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंदों के बीच दाल, चावल, तेल नमक, आलू, साबुन के पैकेट पहुंचाये जा रहे. संस्था का खास फोकस झुग्गी में रहने वालों पर है. इसे सोशल मीडिया में दूसरे साथियों के साथ साझा किया जा रहा है, इससे मदद के लिए कई और लोग सामने आये हैं.
लॉकडाउन में जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने के कार्य में मुझे परिवार व दूसरे लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है. मीडिया से मिली सूचना के बाद मेरी टीम उस बस्ती में पहुंचने का प्रयास करती है जहां जरूरतमंद तक खाद्य सामग्री पहुंचायी जाती है. हमारा यह अभियान लॉकडाउन रहने तक लगातार जारी रहेगा.
मौसमी दास, संचालिका, सबुज बांग्ला
अब तक सबुज बांग्ला की टीम एक हजार से अधिक लोगों तक राशन पहुंचा चुकी है. यह कार्य टीम के सदस्यों के सहयोग से किया जा रहा. इसमें सभी की समान भागीदारी है जिसका सफलता से नेतृत्व मौसमी दास कर रही है. लोगों तक सहयोग पहुंचाने के सवाल पर मौसमी दास ने बताया कि समाज के प्रति कुछ करने की इच्छा उनकी हमेशा से रही है. यह अच्छी बात है कि इस कार्य में मुझे परिवार व दूसरे लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है. मीडिया से मिली सूचना के बाद मेरी टीम उस बस्ती में पहुंचने का प्रयास करती है जहां जरूरतमंद होते है. हमें मालूम है कि हमारा यह प्रयास बहुत छोटा है लेकिन ऐसा ही प्रयास शहर में विभिन्न संस्थान व लोग कर रहे है जिससे लॉकडाउन में उन हजारों लोगों तक भोजन पहुंच पा रहा है जो जरूरतमंद हैं. डेली कमाने-खाने वाले लोग है.
मौसमी दास ने बताया कि वह लॉकडाउन खत्म होने तक लोगों तक राशन पहुंचाने का काम जारी रखेंगी. इस दौरान उनका ध्यान बेजुबान पशु और पक्षियों पर भी है, जिन्हें सामान्य दिनों की तरह बाजार नहीं खुलने पर परेशानी का सामान करना पड़ रहा है. सबुज बांग्ला की टीम ऐसे पशु और पक्षियों क के लिए भी चारा व दाना का प्रबंध कर रही है. मौसमी दास के अनुसार लॉकडाउन में बाजार के बंद रहने और लोगों के घरों में रहने से पशु-पक्षियों के सामने भी संकट उत्पन्न हो गया है. उन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने इस पल में लोगों को आगे आकर जरूरमंदों की मदद करने का अनुरोध किया.
तस्वीरों में सबुज बांग्ला का राशन वितरण अभियान