- चार माह से बोतलबंद पानी का चल रहा खेल, रोकने के लिए नहीं दिया गया कोई आदेश
- जोन और डिवीजन से स्वीकृत है आधा दर्जन ब्रांड, पर मेहरबानी एक ही ब्रांड के पानी को
ROURKELA. चक्रधरपुर मंडल का वाणिज्य विभाग हमेशा से ही उल्टी गंगा बहाने के लिए चर्चा में रहा है. ताजा मामला राउरकेला से सामने आया है यहां रेलवे वाणिज्य विभाग के अधिकारी रेलवे बोर्ड और जोन के आदेश की अपने ही अनुसार व्याख्या कर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और उससे स्वयं उपकृत होने की कवायद कर रहे हैं. ऐसा करने से यात्रियों से अधिक वसूली कर सस्ता पानी स्टेशन के स्टॉल से लेकर ट्रेनों में बेचा जा रहा है.
ऐसा नहीं है कि राउरकेला में रेलनीर की आपूर्ति नहीं है. यहां रेलनीर का बिलासपुर से लगातार स्टॉक आ रहा है और अधिकृत एजेंसी के गोदाम में यह माल डंप कराया जा रहा. ऐसा कर लोकल एक चिह्नित ब्रांड के पानी को प्रमोट कराया जा रहा है जिसमे मुनाफा का मार्जिन अधिक है. मुख्य वाणिज्य निरीक्षण की जानकारी में यह कृत्य हो रहा है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी आरपीएफ व सीनियर डीसीएम, डीसीएम व एसीएम को नहीं है लेकिन लेकिन पानी के इस खेल में सभी अपने-अपने तरह से मौन साधे हुए हैं.
रेलनीर के अधिकृत सप्लायर ने रेलहंट को पूछने पर बताया है कि उसने रेलनीर के राउरकेला में उपलब्ध होने और आपूर्ति सामान्य रहने की बात मुख्य वाणिज्य निरीक्षण, स्टेशन डायरेक्टर से लेकर आरपीएफ को भी लिखित रूप से दी है. इसके बावजूद स्थानीय एकमात्र ब्रांड के पानी को स्टेशन के 17 स्टॉल और पेंट्रीकार में आपूर्ति सुनिश्चित करायी जा रही है. इसमें सीसीआई से लेकर स्टेशन डायरेक्टर तक मौन साधे हुए है जबकि उनके पास उपलब्ध रेलनीर का स्टॉक अब एक्सपायर होने की स्थिति में पहुंच गया है. इससे उसे आर्थिक हानि होगी. यह स्थिति चार माह से चल रही है.
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उधर, बिलासपुर में रेलनीर के अधिकृत एजेंसी ने रेलहंट को बताया कि अभी आपूर्ति सामान्य है और डिमांड के अनुसार रेलनीर की आपूर्ति करने की स्थिति में है. उन्होंने बताया कि राउरकेला और आसपास के स्टेशनों में रेलनीर की सप्लाई कम होने के बारे में वहां तैनात आईआरसीटीसी के अधिकारी ही बता सकेंगे, उनकी जिम्मेदारी है कि वह स्टेशन व ट्रेनों में रेलनीर की आपूर्ति सुनिश्चित कराये. उन्होंने बताया कि अगर रेलनीर की उपलब्धता के बावजूद किसी भी स्टेशन अथवा ट्रेन में दूसरे ब्रांड का पानी बेचा जा रहा है अथवा बिकवाया जा रहा है तो यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला है और वह भी इसके लिए रेलवे बोर्ड विजिलेंस व जोनल में एसडीजीएम को शिकायत करेंगे.
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इस मामले में SER के एसडीजीएम, आईआरसीटीसी के जेजीएम और प्रिसिंपल मुख्य वाणिज्य प्रबंधक का पक्ष लेने का प्रयास किया जा रहा है जहां से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. विस्तृत प्रतिक्रिया सामने आने का इंतजार किया जा रहा है.
ओएचई चोरों को छोड़कर स्टेशन पर आरपीएफ एएससी तलाश रहे वेंडर
उधर दूसरी ओर आरपीएफ प्रभारी शिवलहरी मीना को राउरकेला से निलंबित किये जाने के बाद एक बार फिर से यहां हलचल शुरू हो गयी है. इस बार यह हलचल आरपीएफ के सहायक कमांडेंट के मोर्चे पर आने को लेकर है. झारसुगुड़ा-सरडीगा लाइन में ओएचई चोरी की घटना 10 दिन पहले हुई थी. नया लाइन बिछाने के दौरान ठेकेदार के गोदाम से यह माल चोरी हो गया.अब तक इसकी रिकवरी नहीं हो सकी है.
हालांकि झारसुगुड़ा के प्रभारी अपनी पूरी टीम के साथ केस के उद्भेदन की दिशा में जुटे हुए है लेकिन इस मामले में आरपीएफ के सहायक कमांडेंट की गंभीरता का आलम यह है कि वह स्टेशन पर वेंडरों की तलाश में पहरा दे रहे. उन्होंने अपने पूर अमले को सख्त हिदायत दे रखी है कि चाहे कुछ भी हो जाये वेंडर स्टेशन पर नजर आये तो उनकी खैर नहीं. हां, यह जरूर है कि उनके तमाम सख्ती के बावजूद वेंडर अपना काम कर ही ले रहे.
रेलहंट की टीम ने स्टेशन का जायजा लिया तो पाया कि स्टेशन पर ट्रेनों के भीतर तक अवैध वेंडर पहुंच जा रहे हैं. अब सवाल उठता है कि जब सहायक कमांडेंट ही पहरे पर हो तो यह कैसे हो जा रहा है? तो क्या आरपीएफ की सुरक्षा में ही यहां अवैध वेंडरों ने सेंध लगा दी है?
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