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पश्चिम बंगाल में रेल नेटवर्क के विकास में भूमि अधिग्रहण बड़ी समस्या, योजनाएं हो रही प्रभावित

भारत गौरव पर्यटक ट्रेनों के नाम पर रेलवे में निजी ऑपरेटरों के लिए खोल दिया दरवाजा !
  • लोकसभा में रेलमंत्री ने बताया, बंगाल में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का निर्माण हो रहा 
  • सोननगर से अंडाल तक 374 किलोमीटर लंबे मार्ग की तीसरी और चौथी लाइन को मंजूरी दी गयी है 

KOLKATA. लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बंगाल से जुड़ीं रेल परियोजनाओं की जानकारी देते हुए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि फिलहाल 43 परियोजनाएं चल रही हैं. 4479 किलोमीटर लंबी इन रेल परियोजनाओं में 13 नयी लाइन, चार गेज परिवर्तन और 26 रेल लाइनों के दोहरीकरण की हैं. रेलमंत्री ने कहा कि 4479 किलोमीटर लंबी इन परियोजनाओं की लागत 60,168 करोड़ रुपये है.

रेलमंत्री ने कहा कि हालांकि वर्ष दर वर्ष पश्चिम बंगाल में रेलवे के विकास के लिए बजट में ज्यादा आवंटन किया जा रहा है. लेकिन राज्य की कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निष्पादन की गति भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण रुकी हुई हैं. वर्तमान में पश्चिम बंगाल में चल रहीं रेल परियोजनाओं के लिए लगभग 1981 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 580 हेक्टेयर भूमि का ही अधिग्रहण हो पाया है. रेलमंत्री का कहना है कि रेलवे ने भूमि अधिग्रहण के लिए कई बार आग्रह किया, लेकिन बात नहीं बनी. परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सफलता नहीं मिली.

सोननगर से अंडाल तक बन रहा 374 किमी लंबा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

रेलमंत्री ने बताया कि रेल मंत्रालय बंगाल में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा, सोननगर से अंडाल तक 374 किलोमीटर लंबे मार्ग की तीसरी और चौथी लाइन को मंजूरी दी गयी है. यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल में अंडाल से बराकर तक 39.75 किमी लंबा होगा. समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डीएफसी) के निर्माण से पश्चिमी बंदरगाहों से उत्तरी भीतरी इलाकों तक तेजी से पहुंच संभव हो सकेगी और नये औद्योगिक केंद्रों और गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों का विकास भी होगा. इससे बंगाल का महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पहुंच बेहतर होगी और उद्योगों, लॉजिस्टिक्स कंपनियों के साथ आम लोगों को लाभ होगा.

इस क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सितंबर 2023 में रेलमंत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर बंगाल में जमीन की समस्या के अवगत कराते हुए रेलवे परियोजनाएं अटकी होने की जानकारी दी थी. पत्र में बंगाल में चल रही रेलवे की 61 परियोजनाएं का उल्लेख किया था. उन्होंने ममता से समस्या के जल्द समाधान के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया था. अटकी परियाेजनाओं में से 41 ऐसी हैं, जिनका अभी तक काम ही शुरू नहीं हो पाया है, जबकि बाकी 20 परियोजनाओं का काम शुरू होकर बंद हो गया. इन परियोजनाओं में तारकेश्वर-धनियाखाली, आरामबाग-चांपाडांगा, कटवा-मंतेश्वर, नामखाना-चंद्रनगर, चंद्रनगर-बकखाली, हासनाबाद-हिंगलगंज, पुजाली-बाखरहाट, मंतेश्वर-मेमारी, डानकुनी-फुरफुरा शामिल हैं.

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