- ईडी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष दायर अपने पूरक आरोपपत्र में दलीलें दीं, कई बातें बतायी
- पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री प्रसाद, दोनों बेटों और अन्य को सात अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश
- मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के कार्यकाल में जबलपुर स्थित पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से संबंधित है
NEW DELHI. इडी ने यहां की एक अदालत से कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने भारतीय रेलवे में नौकरियों के बदले जमीन के रूप में अवैध लाभ अर्जित किया. ईडी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष इस मामले में दायर अपने पूरक आरोपपत्र में ये दलीलें दीं. अदालत ने 18 सितंबर के अपने आदेश में प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी तलब किया था, जिन्हें जांच एजेंसी ने आरोपी के रूप में नामित नहीं किया है.
न्यायाधीश ने कहा, अदालत को प्रथम दृष्टया और समन के चरण में आवश्यक जांच के मानक के मद्देनजर यह निष्कर्ष निकालने के लिए बाध्यकारी आधार मिलता है कि तेज प्रताप यादव भी अधिग्रहण और अपराध की आय को छिपाने में शामिल थे और इस प्रकार वर्तमान पूरक शिकायत पर तलब किए जाने के लिए उत्तरदायी हैं. उन्होंने प्रसाद के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी तलब किया.
न्यायाधीश ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री प्रसाद, उनके दोनों बेटों और अन्य को सात अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
न्यायाधीश ने पहले इस मामले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियों – मीसा भारती और हेमा यादव को तलब किया था. पहले से ही यादव परिवार के कब्जे में मौजूद हिस्सेदारी को मजबूत करने के लिए अधिग्रहीत किए गए भूखंड को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘अपराध से अर्जित आय’ (पीओसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
ईडी ने प्रसाद पर अपराध से अर्जित आय के अधिग्रहण को छिपाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया है. ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भूखंड इस तरीके से हस्तांतरित किए जाएं कि उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी अस्पष्ट हो और उनके परिवार को लाभ हो सके.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि जब प्रसाद रेल मंत्री थे, तब मुख्य रूप से पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को रेलवे में नौकरियां देने के वादे के साथ कम कीमत पर अपनी जमीन बेचने के लिए राजी किया गया था. ईडी ने आरोप लगाया है, ‘‘इनमें से कई भूखंड पहले से ही यादव परिवार के पास मौजूद जमीन के पास स्थित थे. इस मामले में सात में से छह भूखंड राबड़ी देवी से जुड़े थे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किए गए थे.’’ इसमें कहा गया है कि जांच से पता चला है कि ए. के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य संस्थाओं का इस्तेमाल भूमि अधिग्रहण और ‘जमीन के बदले नौकरी’ योजना के बीच संबंध को और अधिक परतदार और अस्पष्ट करने के लिए किया गया.
ईडी के अनुसार साजिश के तहत सह-अभियुक्त अमित कात्याल ने एके इंफोसिस्टम्स का स्वामित्व, जिसके पास मूल्यवान जमीन थी, मामूली कीमत पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित कर दिया. ईडी ने कहा है कि प्रसाद के करीबी सहयोगी भोला यादव की पहचान इन लेनदेन में मुख्य सूत्रधार के रूप में की गई है. इसमें दावा किया गया है कि उसने यादव परिवार की संपत्ति के पास के भूस्वामियों को रेलवे में नौकरी के बदले में अपनी संपत्ति बेचने के लिए राजी करने की बात स्वीकार की है.
ईडी ने कहा है कि इन सौदों को प्रसाद के परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए संरचित किया गया था, जिसमें राबड़ी देवी के निजी कर्मचारियों हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी जैसे मध्यस्थों के माध्यम से संपत्तियां हस्तांतरित की गईं, दोनों इस मामले में सह-आरोपी हैं. इसमें कहा गया है कि विचाराधीन संपत्तियों को अक्सर दूर के रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दिखाया गया था, लेकिन मीसा भारती ने इन व्यक्तियों को जानने से इनकार किया है.
न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद उन्हें तलब किया है. ईडी द्वारा छह अगस्त को अदालत में अंतिम रिपोर्ट दायर की गई थी. एजेंसी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर अपना मामला दर्ज किया था. ईडी ने कहा है कि यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से संबंधित है. ईडी के मुताबिक राजद प्रमुख के परिवार या सहयोगियों को हस्तांतरित की गई या तोहफे में दी गई जमीन के बदले ये नियुक्तियां की गईं.