- झारसुगुड़ा में एक से डेढ़ साल में तीन बड़ी चोरियों से आरपीएफ की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में
- चावल की बरामदी और केस दर्ज करने को लेकर आरपीएफ व जीआरपी आमने-सामने है
- ओएचई चोरी के मामले में आईजी का सुपरविजन तय है, चावल चोरी की भी जांच करेंगे
- हर बार बनाया गया निचले अधिकारी-कर्मचारी को बली का बकरा, बचाये गये जिम्मेदार
- आरपीएफ के अधिकारी भी मानते है कि डीजी स्तर पर जांच से ही सच आयेगा सामने
रेलहंट ब्यूरो, राउरकेला
झारसुगुड़ा में रेलवे लाइन किनारे से 288 बोला चावल बरामदगी के मामले में आखिरकार झारसुगुड़ा आरपीएफ प्रभारी एलके दास को भी निलंबित कर दिया गया है. उनके निलंबन का आदेश सोमवार 13 जनवरी को जारी किया गया. उन्हें चक्रधरपुर सिक्यूरिटी कंट्रोल से अटैच कर दिया गया है. इस मामले में पहले ही शिफ्ट इंचार्ज एसआइ एसके कुमार, हवलदार डी बाक्सला और सिपाही आरवी ठाकुर को सस्पेंड किया जा चुका है. अपने तरह के दिलचस्प इस मामले की जांच को लेकर आरपीएफ व जीआरपी आमने-सामने है. आरपीएफ पोस्ट से 200 मीटर की दूरी पर झाड़ियों में मालगाड़ी से गिराये गये 288 बोरा चावल को जब्त करने की कार्रवाई झारसगुड़ा जीआरपी ने की है जबकि इस मामले में अब तक आरपीएफ की भूमिका बचाव वाली है. 8 जनवरी को चावल जप्त किया गया है. जबकि इसकी रिपोर्ट एक दिन बाद आरपीएफ प्रभारी ने यह बताकर दी कि वह माल गिराने वाले अपराधियों को पकड़ने के लिए एम्बुस कर रहे थे तभी जीआरपी ने चावल जब्त कर लिया. हालांकि इसमें अब तक आरपीएफ की ओर से कोई विधि सम्मत कार्रवाई नहीं की गयी है. मालगाड़ी संख्या BCN HKG -NKM/TIS के वैगन NR 65813 से 290 बोरा चावल गिराया गया था. जिसका मूल्य पांच लाख के आसपास हैं. चोरी की रिपोर्ट रांची आरपीएफ दर्ज कर अनुसंधान कर रहा है. इस तरह एक ही चोरी के मामले में सरकार की दो एजेंसियां जांच कर रही है जिसमें एक केंद्रीय एजेंसी है जबकि दूसरी ओड़िशा पुलिस की स्टेट एजेंसी.
झारसुगुड़ा में अब तक चोरी की तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी है जिसमें रेलवे सम्पति को चोरों ने सीधे ताैर पर नुकसान पहुंचाया गया है लेकिन आरपीएफ की भूमिका को लेकर हर मामले में सवाल उठाये गये हैं. दिसंबर 2019 में स्टोर से लाखों रुपये का ओएचई तार चोरी की घटना अहम है. थर्ड लाइन के लिए रखे गये ओएचई तार को चोरों ने स्टोर तोड़कर निकाल लिया था. बताया जाता है कि इस मामले में कुछ बरामदगी दिखाकर मामले की लीपापोती कर दी गयी है. इससे पूर्व बामड़ा में इंस्पेक्टर एके सिंह ने बड़ी मात्रा में रेलवे लाइन बरामद किया था. जांच में यह पता चला कि वह माल झारसुगुड़ा से चोरी किया गया था. मामले में झारसुगुड़ा पीडब्ल्यूआई की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद बड़ी मात्रा में चावल चोरी की वारदात ने यह साफ कर दिया है कि झारसुगुड़ा में आरपीएफ की सुरक्षा व्यवस्था काफी लचर है और बार-बार बड़ी घटनाओं के बावजूद हर बार सक्षम पदाधिकारी पर कार्रवाई नहीं कर निचले स्तर के लोगों को बली का बकरा बना दिया गया. चावल चोरी के मामले में हालांकि पोस्ट प्रभारी को आईजी ने फौरी तौर पर निलंबित तो कर दिया है लेकिन अब तक किसी इंस्पेक्टर की यहां पोस्टिंग नहीं की गयी है. अस्थाई रूप मैं कंप्लेंट सेल के इंस्पेक्टर राकेश मोहन को पोस्ट का प्रभार दिया गया है
यह माना जा रहा है कि पूर्व में ओएचई की चेारी के मामले में आईजी आरपीएफ एससी पाढ़ी का 15 जनवरी को झारसुगुड़ा दौरा होने वाला है. शायद उसी समय आईजी इस मामले की जांच भी करेंगे. हालांकि सुरक्षा बल मेें इस बात की चर्चा तेज है कि एक ही प्रांत व भाषा के कारण आईजी झारसुगुड़ा प्रभारी एलके दास को अभयदान दे सकते है. इसके लिए बालासोर के आरपीएफ प्रभारी का उदाहरण सामने रखा जा रहा है. जहां कई मामलों में गंभीर आरोपों के बावजूद आईजी पाढ़ी ने दक्षिण पूर्व रेलवे का प्रभार लेने के ठीक बाद खड़गपुर सिक्यूरिटी कंट्रोल से अटैच किये गये आरोपी इंस्पेक्टर महापात्रा को फिर से बालासोर पोस्ट का प्रभारी बनाकर भेज दिया था. महापात्रा आज भी उसी पोस्ट में जमे हुए है जहां उनके रहते ही कई बड़ी घटनाएं हुई और स्पेशल जांच रिपोर्ट के बाद आईजी एसके सिन्हा के निर्देश पर हटाकर खड़गपुर सिक्यूरिटी कंट्रोल से अटैच कर दिया गया था. महापात्रा भी उसी प्रांत के रहने वाले है जहां के एलके दास है.
जोन में हर बड़ी घटना के बाद सुरक्षा बल के अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग दक्षिण पूर्व रेलवे सुरक्षा बल में किये गये तबादलों पर भी दबी जुबान में सवाल उठाता रहा है. एक बार फिर से इस बात की चर्चा तेज है कि पीसीएससी ने तबादलों ने भाषा, प्रांत और जाति को महत्व दिया न की योग्यता और अनुभव के साथ वरीयता को. उदाहरण के लिए टाटानगर आरपीएफ पोस्ट, बंडामुंडा पोस्ट, टाटा सीआईबी, संतरागाछी, झारसुगुड़ा समेत कई अहम पदों पर किये गये तबादलों की चर्चा की जा रही है. पदस्थापना के बाद चक्रधरपुर से मात्र 50 किमी दूर एमके साहू की पोस्टिंग टाटा कर दी गयी. बताया जाता है कि बतौर सब इंस्पेक्टर 2006-07 में वह टाटा पोस्ट में रह चुके हैं. सीनी से एनके सोना को बंडामुंडा भेजा गया. दोनों ओड़िशा से हैं. एक दशक तक चक्रधरपुर डिवीजन में ही सीआईबी-एसआईबी में रहे जीके दलबेहरा को तबादला चक्रधरपुर किया गया था, लेकिन पैसेंजर सेल से दो माह बाद ही उन्हें सीआईबी टाटा का प्रभारी बनाकर भेज दिया गया. जोन में सुरक्षा बल के अधिकारियों का एक तबका पीसीएससी के निर्णय को सही ठहराता है. इनका कहना है कि पीसीएससी ने युवा तुर्क इंस्पेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें मौका दिया है जबकि जोन में तबादलों और छोटी बड़े मामलों में कार्रवाई की गति पर सवाल उठाने वाले सुरक्षा बल का एक बड़ा तबका चाहता है कि डीजी अरुण कुमार इन मामलों की अपने स्तर पर जांच कराये और यह साथ ही यह पता लगाये कि कई मामलों में संदेहास्पद स्थिति के बावजूद टाटानगर से एएससी एसके चौधरी को आखिर किन परिस्थितियों में एक ही डिवीजन में राउरकेला का प्रभार दिला दिया गया…..जारी
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