- श्रमिक स्पेशल ट्रेन में उठा दर्द, वाहन में हो गया था प्रसव, रेलमंत्री पीयूष गोयल ने पोस्ट शेयर का जतायी खुशी
- महिला की जान बचाने से लेकर सुरक्षित वापसी तक में आरपीएफ प्रभारी व सदर थाना प्रभारी की भूमिका अहम
रेलहंट ब्यूरो, राउरकेला/पटना
सिकंदराबाद से बिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में प्रसव पीड़ा से कराहती लवली को यह नहीं पता था कि अब उसकी और उसके गर्भ में पल रहे शिशु की जिंदगी का क्या होगा? उसकी जिंदगी बच पायेगी या नहीं? वह सुरक्षित घर पहुंच भी पायेगी की नहीं ? इन चिंताओं के बीच लवली और उसके पति राजेश ने कई स्टेशनों पर रेलवे अधिकारियों से गुहार लगायी लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी और ट्रेन आगे बढ़ती रही. ट्रेन के झारसुगुड़ा स्टेशन पहुंचने पूर्व आरपीएफ को यह सूचना मिली अपने पति और एक बच्ची के साथ यात्रा कर रही महिला प्रसव पीड़ा से करार रही है और उसे कभी भी प्रसव हो सकता है. पहले से विलंब से चल रही ट्रेन, कोरोना को लेकर स्टेशन पर मची आपाधापी और जिम्मेदारी एक-दूसरे पर टालने के प्रयासो के बीच आरपीएफ प्रभारी राकेश मोहन ने अपने जवानों को तैयार किया और गंभीर स्थिति में महिला को ट्रेन से उतारने की चुनौती स्वीकार की. घटना 25 मई की है.
झारसुगुड़ा के आरपीएफ प्रभारी राकेश मोहन ने इससे पहले स्थानीय पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों से मदद लेने का प्रयास किया लेकिन आपेक्षित सहयोग की जगह यह नसीहत दी गयी कि क्यों बला मोल लेते हो. बड़ी मशक्कत के बाद राकेश मोहन ने झारसुगुड़ा सदर थाना की महिला प्रभारी सावित्री बल को स्थिति की जानकारी और उन्होंने तत्काल अस्पताल को सूचित कर एंबुलेंस मंगाया और स्वयं मौके पर पहुंच गयी. निर्धारित समय पर ट्रेन से महिला को उतारने के बाद स्ट्रेचर पर लिटाया गया एंबलेंस की प्रतीक्षा की जाने लगी. तभी महिला प्रभारी सावित्री बल ने यह महसूस किया कि प्रसव पीड़ा से जूझ रही लवली कुमारी के पास अधिक समय नहीं है, उन्होंने तत्काल अपनी ही गाड़ी में उसे अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया और रवाना हो गयी. हालांकि अस्पताल पहुंचने से पूर्व गाड़ी में ही लवली को प्रसव हो गया और उसने एक स्वस्थ्य नवजात बच्ची को जन्म दिया. आनन-फानन में उन्हें सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया और उसकी पूरी जांच हो सकी. इस तरह महिला और नवजात की जान बची गयी.
सिकंदराबाद से बिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में प्रसव पीड़ा से कराहती लवली को यह नहीं पता था कि अब उसकी और उसके गर्भ में पल रहे शिशु की जिंदगी का क्या होगा? उसकी जिंदगी बच पायेगी या नहीं? वह सुरक्षित घर पहुंच भी पायेगी की नहीं ?
अब समस्या थी लवली को तमाम कागजी प्रक्रिया को पूरी कर अपने परिवार के साथ सुरक्षित घर बिहार पहुंचने की थी. इस कार्य में झारसुगुड़ा प्रभारी राकेश मोहन ने अहम भूमिका निभायी और पूरी जिम्मेदारी के साथ स्थानीय प्रशासनिक और चिकित्सा प्रभारियों से मिलकर जरूरी दस्तावेज तैयार कराया. यही नहीं महिला और नवजात बच्ची की कोरोना जांच भी करायी गयी ताकि आगे कोई परेशानी नहीं हो. इसके बाद आरपीएफ ने जरूरी खाना-पीना बच्ची के लिए जरूरी उपाय सुनिचित कराया और मद्रास से बिहार शरीफ जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में उसके जाने की व्यवस्था करायी. और अंतत लवली अपने पति राजेश, बेटी व नवजात के साथ अपने घर भभुआ के दुर्गावती थाना अंतर्गत देवदिनयां पहुंच गयी है.
रेलमंत्री पीयूष गोयल किया शेयर : नन्ही सी जान का स्वागतः श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रही महिला को सिरारी, बिहार स्टेशन पर लेबर पेन होने पर रेलवे अधिकारियों द्वारा तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गयी, जहां उन्होंने एक खूबसूरत बालिका को जन्म दिया.
घर पहुंचकर लवली ने आरपीएफ के जवानों के लिए जो कहा, वह सुनकर देश के हर आरपीएफ अधिकारी व जवान गर्व कर सकता है. उन्होंने कहा कि उनके सामने आरपीएफ के जवान भगवान बनकर आये जिन्होंने उनकी जान बचा ली. ट्रेन में वह यह उम्मीद खो बैठी थी कि अब उसका सुरक्षित प्रसव होगा और उसकी और उसके बच्चे की जान बच सकेगी लेकिन ऐसा हुआ और इसके लिए आरपीएफ के जवान और महिला प्रभारी का अहसान वह जीवन भर नहीं भूल सकती हैं. लवली के पति राकेश कुमार ने भी सहयोग के लिए रेलकर्मियो का आभार जताया है. प्रत्याशित घटनाक्रम के लिए स्वयं रेलमंत्री पीयूष गोयल ने जवानों का हौसला बढ़ाया है. वहीं चक्रधरपुर रेलमंडल प्रबंधन और डीएससी ने भी इसके लिए सभी रेलकर्मियों काे बधाई दी है.
रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी व जवानों को इस बेहतर कार्य के लिए न्यूज पोर्टल रेलहंट की ओर से बहुत – बहुत बधाई.
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