- भोपाल के आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. प्रकाश अग्रवाल की सूचना पर हुआ खुलासा
नई दिल्ली. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक बार फिर से बंपर वैकेंसी के तहत दो लाख 32 हज़ार बेरोजगारों की भर्ती का ऐलान किया गया. खबर सुनकर ऐसा लगता है कि सरकार बेरोजगारों का कितना ख्याल रख रही है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले साल की भर्ती परीक्षा से रेलवे ने इन्हीं बेरोजगारों से करीब सवा चार सौ करोड़ की कमाई की है. पिछले साल फरवरी में जब रेलवे ने करीब सवा लाख पदों की भर्ती निकाली तो करीब 2 करोड़ 37 लाख आवेदन मिले. काबिलियत के दम पर तमाम चुनौतियों का सामना करते और अपने लिए संभावना तलाशते ये छात्र दूर दराज के इलाकों से अपने अपने सेंटर पहुंचे. अब RTI के जवाब में पता चला कि इन बेरोज़गारों से एग्जाम फीस के नाम पर रेलवे ने एक नहीं दो नहीं बल्कि करीब 900 करोड़ रुपए भी लिए.
भोपाल के आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. प्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि काफी मशक्कत के बाद रेलवे ने आंकड़ा दिया. इसमें रेलवे ने माना कि परीक्षा फीस के नाम पर 1 लाख 27 हज़ार कैंडिडेट्स से उसके खाते में करीब 900 करोड़ रुपया आया. साथ में कहा कि जो परीक्षार्थी उपस्थित हुए उनको पैसा लौटाना भी है.
दरअसल, रेलवे ने परीक्षा फीस में दो तरह का प्रावधान रखा था. जनरल और रिजर्व्ड कैटेगरी. सामान्य श्रेणी वालों को 500 रुपये देने थे जिसमें से परीक्षा में उपस्थित होने वालों को 400 रुपये वापस हो जाएंगे. आरक्षित (reserved category) श्रेणी वाले छात्रों को 250 रुपये और परीक्षा में उपस्थित होने पर ये पूरे पैसे उनके खाते में रेलवे ने भेजने की शर्त रखी. और जो परीक्षा में उपस्थित नहीं होंगे उनके पूरे पैसे रेलवे की तिजोरी में चले जाएंगे.
रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य सुबोध जैन दलील देते हैं कि एग्जाम फीस के पीछे मनशा यही होती है कि एग्जाम में लगनेवाला खर्च निकल पाए और नॉन सीरियस छात्र आवेदन नहीं करें क्योंकि कोई बेवजह अप्लाई करता है तो उसके इंतज़ाम में रेलवे को खर्च करना पड़ता है. परीक्षा फीस लौटाने के बाद भी 887 करोड़ में से रेलवे की तिजोरी में करीब 427 करोड़ रुपये बचे. 2 करोड़ 37 लाख छात्रों ने आवेदन किया. इसमें सामान्य और रिजर्व्ड कैटेगरी के कुल 83 लाख 88 हजार छात्र परीक्षा देने आए ही नहीं. तो इनका पूरा पैसा रेलवे के खाते में ही गया. रेलवे सूत्रों के अनुसार परीक्षा नहीं देने पहुंचे छात्रों में करीब 50,32,800, यानी कि 60 फीसदी सामान्य श्रेणी के थे जिनमें हर किसी से 500 रुपये रेलवे ने लिए. तो सामान्य श्रेणी के छात्रों से रेलवे को 251 करोड़ 64 लाख रुपये आमद हुई. वहीं अनुपस्थित रहे करीब 33,55,200 छात्र रिजर्व्ड कैटेगोरी के थे. इनमें 250 रुपये हर छात्र से रेलवे ने चार्ज किये. तो इनसे रेलवे के खाते में 83 करोड़ 88 लाख रुपये आए. लिहाज़ा फॉर्म भरने के बाद परीक्षा नहीं देने पहुंचे छात्रों से रेलवे की तिजोरी में 335 करोड़ 52 लाख रुपये आए.
वहीं रेलवे के मुताबिक परीक्षा में उपस्थित हुए कुल छात्रों की संख्या 1 करोड़ 53 लाख रही. अब अगर इसका 60% भी छात्र सामान्य श्रेणी (General category) के मानें जिनके 500 रुपये में से 400 रुपये वापसी के बाद 100 रुपये रेलवे के खाते में जाने थे तो ऐसे छात्रों की तादाद 91 लाख 80 हज़ार बनती है. और 100 रुपये के हिसाब से इन छात्रों से कमाई 91 करोड़ 80 लाख होती है. इन सभी आंकड़ों को जोड़ घटाव कर देखें तो फिर अनुपस्थित और परीक्षा में उपस्थित सामान्य श्रेणी से कुल कमाई का आंकड़ा 427 करोड़ 32 लाख रुपये बनता है.
सोर्स : एनडीटीटी