सुस्मिता, नई दिल्ली
20 रुपये का चिप्स 30 में तो 15 रुपये का पानी 20 रुपये में बेचना स्टेशनों पर आम बात है. देश के सभी स्टेशन व ट्रेनों में ओवर चार्जिंग की शिकायतें यात्री करते हैं, शिकायतें भी आती है और चेतावनी भी दी जाती है लेकिन अब तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया जब किसी स्ट्रॉल अथवा वेंडर का लाइसेंस ओवर चार्जिंग में रद्द किया गया है. जाहिर सी बात है कि ओवर चार्जिंग के पीछे रेलवे वाणिज्य विभाग की बड़ी लॉबी काम करती है जो शिकातयों को निष्पादन की रफ्तार को प्रभावित करती है और ऐसे लोगों को संरक्षित करती है. यह वर्षों से चलता आ रहा है.
एनसीआर के जीएम प्रमोद कुमार ने कानपुर स्टेशन पर 1 जून 2022 की रात अपनी आंखों से ओवर चार्जिंग की पीड़ा और इसका विरोध करने पर यात्रियों होने वाले दुर्व्यवहार को महसूस किया है. स्वयं औचक निरीक्षण करने निकले जीएम भी स्टेशन पर ओवरचार्जिंग का शिकार हो गये. इस घटना के बाद यह सामान्य विषय का मुद्दा हो सकता है कि स्टेशन पर स्टॉल संचालक और वेंडर अधिक कमाई के लिए किसी को नहीं छोड़ते. यह सब तभी संभव है जब उनके पीछे इसे देखने वाले वाणिज्य विभाग के कर्मचारी व अधिकारी नहीं खड़े हो. वरना अगर महीने में एक दो लाइसेंसी वेंडर व स्टॉल संचालकों पर भी रेलवे कार्रवाई करता तो शायद यह बीमारी बढ़ने से पहले ही खत्म हो जाती. लेकिन सभी अपने-अपने हिस्से को लेकर खुश है और रेलवे के सिस्टम का शिकार निरीह यात्री होते है.
20 रुपये का चिप्स 30 में तो 15 रुपये का पानी 20 रुपये में बेचना स्टेशनों पर आम बात है. देश के सभी स्टेशन व ट्रेनों में ओवर चार्जिंग की शिकायतें यात्री करते हैं, शिकायतें भी आती है और चेतावनी भी दी जाती है लेकिन अब तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया जब किसी स्ट्रॉल अथवा वेंडर का लाइसेंस ओवर चार्जिंग में रद्द किया गया है.
अब आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) ने स्टेशनों पर ओवर चार्जिंग की शिकायतों के निवारण के लिए पहल की है. निगम ने एसआइडी (स्पेशल इंस्पेक्शन ड्राइव) टीम का गठन किया है. यह टीम पूरे देश में आन द स्पाट जांच कर एक्शन लेगी. ऐसा दावा किया जा रहा है कि टीम की सक्रियता के बाद रेलवे स्टेशनों पर ओवर चार्जिंग रुकेगी. टीम अगले सप्ताह से ही काम शुरू कर देगी.
आम तौर पर रेलवे स्टेशनों पर खाने-पीने की वस्तुओं जैसे पानी की बोतल, पैक्ड सामान पर प्रिंट मूल्य से अधिक पैसा वेंडर लेते हैं. यात्री जल्दीबाजी में अधिक पैसा देकर सामान खरीद भी लेते हैं. बाद में ऐसी घटनाओं की शिकायत जब अधिकारियों से होती है तो कार्रवाई में महीनों लग जाते है. वह कार्रवाई भी किसी मुकाम तक नहीं पहुंचती. आम तौर पर शिकायत ऊपरी स्तर पर होने पर वेंडर व स्टॉल संचालन पर जुर्माने की कार्रवाई कर एक्शन दर्ज करा दिया जाता है.
आम तौर पर ऐसी कोई व्यवस्था अब तक सुनिश्चित ही नहीं करायी गयी कि ओवर चार्जिंग के मामले में सख्त कार्रवाई क्या होगी? न ही रेलवे के स्तर पर किसी जोन अथवा मंडल ने अब तक किसी का लाइसेंस रद्द कर बड़ा संकेत की देना का प्रयास किया है कि भ्रष्टाचार पर रेलवे का रुख सख्त है और हमेशा रहेगा? हालांकि अब यात्रियों की असुविधा और शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आइआरसीटीसी ने बड़ी पहल करने का दावा किया है.
आइआरसीटीसी के जनसंपर्क अधिकारी आनंद कुमार ने मीडिया से बताया कि एसआइडी टीम देश भर में अलग-अलग मार्ग के ट्रेनों व स्टेशन पर आम यात्री के रूप में रेलवे स्टेशनों पर स्वयं जांच करेगी. यह जांच गोपनीय रहेगी. कहीं भी ओवर चार्जिंग का मामला सामने आने पर कार्रवाई की जायेगी. यात्री का पैसा वापस कराया जायेगा और जुर्माना लगाने के साथ लाइसेंस भी रद्द किया जायेगा. कहा जो यह भी जा रह है कि गलत कार्य करने वाले वेंडर को स्टाॅल से हटाकर दूसरे स्टेशन पर कार्य करने के लिए भी बैन कर दिया जायेगा.
ओवर चार्जिंग रोकने लिए यह पूरी व्यवस्था केंद्रीकृत होगी. हालांकि अब देखना है कि निगम की यह कार्रवाई कितना असर दिखाती है.